महाकुंभ 2025 (सौजन्य : सोशल मीडिया )
साल 2019 के मुकाबले इस बार प्रयागराज महाकुंभ में 40-50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने के आसार हैं। महाकुंभ 2025 की तैयारियों को सरकार भव्य स्वरूप दे रही है। खासतौर पर पूरे शहर का सौंदर्यीकरण किया गया है, जिससे प्रयागराज का कायाकल्प स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। इसी क्रम में भारतीय रेलवे भी प्रयागराज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक छवि को निखारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। "पेंट माई सिटी" अभियान के तहत प्रयागराज के सभी रेलवे स्टेशनों को कला और संस्कृति के अद्भुत केंद्रों में परिवर्तित कर दिया गया है।
महाकुंभ को सबके लिए सुरक्षित, सुगम, आनंददायक और यादगार बनाने के लिए तमाम इंतजाम किया गया हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा से जुड़े तमाम पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। प्रयागराज में 144 साल बाद होने जा रहे भव्य-दिव्य पूर्ण महाकुंभ की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। संगम की रेती पर कुंभ नगरी सज चुकी है। इसकी रौनक देखते ही बनती है। महाकुंभ के दौरान 6 खास तिथियों को होने वाले खास अमृत स्नान और कल्पवास के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
इस बार महाकुंभ में संगम पर आधुनिक सुविधाओं से लैस हाई टेक फ्लोटिंग सेल्फ प्रोपेल्ड जेट्टी लगाई गई है। इससे आने वाले VIP मेहमानों को कुंभ स्नान करने में सहूलियत होगी। यह जेट्टी एक तरह से तैरती हुई विशाल बोट है जिसमें घूमने, बैठने, स्नान करने और चेंजिंग रूम की आलीशान सुविधाएं मौजूद हैं। इस फ्लोटिंग जेट्टी पर चार-पांच लोगों के बैठने के लिए सोफे भी लगे हुए हैं। साथ ही चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। जेट्टी को सोलर लाइटिंग से लैस किया गया है ताकि रात में भी संगम का आनंद लिया जा सके। इस जेट्टी को IIT खड़गपुर के वैज्ञानिकों की मदद से डिजाइन किया गया है।
तीर्थराज प्रयाग में साल भर पावन तिथियों पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते रहते हैं। हालांकि, धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से न सिर्फ सभी पापों से बल्कि सारे दुख-दर्द से भी छुटकारा मिल जाता है। इस मान्यता को साकार करने के लिए इस बार महाकुंभ में खास आयोजन होगा। इसे नेत्र कुंभ कहा जा रहा है। इस दौरान यहां आने वाले 5 लाख श्रद्धालुओं की आंखों की जांच होगी। वहीं 3 लाख लोगों को चश्मे देकर नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की जा रही है। इस नेत्र कुंभ से लाखों श्रद्धालुओं को मदद मिलेगी।
महाकुंभ के उन मतवालों की करेंगे जिनका हठ संगम तट की रेत में मिलकर अब महाकुंभ के आरंभ का शुभ समाचार दे रहा है। हर शाही स्नान में सबसे पहले स्नान के लिए संगम तट की रेत पर दौड़ते साधुओं का सैलाब हो या फिर अखाड़ों का भव्य दिव्य नगर प्रवेश। ये वो तस्वीरें हैं जो कुंभ का नाम सुनते ही ज़हन में सबसे पहले उभरती हैं। इन अखाड़ों के बिना महाकुंभ की कल्पना भी संभव नहीं है। इन अखाड़ों की तैयारियां और खूबसूरती भी देखते ही बनती है।
मेले के लिए साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला करीब महीने भर से चल रहा है। अलग-अलग अखाड़ों की दिव्य पेशवाई निकल रही है और साधु-संत महाकुंभ के लिए नगर प्रवेश कर रहे हैं। बता दें कि अब तक कई अखाड़ों का छावनी प्रवेश हो चुका है बाकी बचे हुए अखाड़े भी जल्द छावनी प्रवेश करेंगे, जिसके बाद 13 जनवरी से महाकुंभ का विधिवत शुभारंभ होगा और इसके साथ ही संगम में आस्था की डुबकी लगाने का क्रम यानी अमृत स्नान शुरू हो जाएगा।
चार हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मेला होगा और 1900 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पार्किंग बनाई जाएगी। इस बार के मेले में 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान जताया जा रहा है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए इस बार अभूतपूर्व व्यवस्था की जाएगी। संगम पर स्नान करने वालों को डूबने से बचाने के लिए जल पुलिस के साथ ही अंडरवाटर ड्रोन भी तैनात किया जाएगा। ये ड्रोन 300 मीटर के दायरे में किसी भी डूबते व्यक्ति को खोजने में सक्षम होगा। साथ ही 1 मिनट में डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर सकेगा। महाकुंभ में भीड़ नियंत्रित करने के लिए पार्किंग व्यवस्था शहर से बाहर रहेगी।