सावन के महीने के बाद अब भादौ मास की शुरुआत हो गई हैं इस महीने में नागपंचमी, रक्षाबंधन के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। इस जन्माष्टमी पर भगवान के जन्मस्थान पर अभी से ही तैयारियों का दौर शुरू हो गया हैं। भारत के इन मंदिरों में पारंपरिक शंख, मंदिर की घंटियों और मंत्रभजनों की ध्वनि की गूंज के साथ जन्मदिवस की धूम होती है। इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार 26 अगस्त को मनाया जाने वाला हैं जो शुभ तिथियों में से एक होता है।
मथुरा - भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा (Mathura) की तो यहां पर जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य नजारा देखने के लिए मिलता है। यहां पर झूलनोत्सव और घाट पर दो तरीकों से जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसमें झूलनोत्सव में मथुरा के लोग अपने घरों में झूला लगाते हैं. उस झूले में कृष्ण की मूर्तियां रखते हैं. सुबह-सुबह दूध, दही, शहद और घी से मूर्ति को स्नान कराया जाता है. नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं. दूसरी प्रथा घाट में शहर के सभी मंदिरों को एक ही रंग से सजाया जाता है।
वृंदावन- भगवान श्रीकृष्ण के पवित्र स्थानों में इस जगह का नाम आता हैं जो मथुरा से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित हैं। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े होने से लेकर रासलीला और राधारानी से प्रेम का उल्लेख मिलता है। वृंदावन में गोविंद देव मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. निधि वन, रंगनाथजी मंदिर, राधारमण मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहां से सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा मन से की जाती है।
गोकुल- भगवान श्रीकृष्ण को जन्म के बाद गोकुल में नंदबाबा के घर भेजा गया था जहां पर जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी कहते है। जन्मोत्सव में बड़ी धूमधाम देखने के लिए मिलती हैं तो वहीं पर आने वाले तीर्थयात्री राधा रमन मंदिर और राधा दामोदर मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।
द्वारका- भगवान श्रीकृष्ण के एक और खास धाम में से एक द्वारका, जो गुजरात में स्थित है। माना जाता है कि मथुरा छोड़ने के बाद करीब पांच हजार वर्षों तक कृष्ण यहीं रहें, वर्तमान का द्वारका सातवां माना जाता हैं। यहां की जन्माष्टमी सबसे खास मानी जाती है,मंगल आरती के साथ भजन, रास नृत्य और गरबा होता है।
मुंबई- जन्माष्टमी के मौके पर महाराष्ट्र के मुंबई में अलग धूम देखने के लिए मिलती है। यहां पर भव्य रूप से कई जगहों पर दही-हांडी का आयोजन होता हैं इसमें हवा में बंधे मिट्टी के बर्तन तक पहुंचने और तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं. वर्ली, ठाणे और जोगेश्वरी में यह उत्सव होता है।