हिंदू धर्म ग्रंथों में गुरू को स्थान दिया गया है। गुरू के बिना किसी के जीवन में अंधकार खत्म नहीं होता है इस महान शख्सियत को सम्मान देने के लिए गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। अगर किसी के जीवन में कोई गुरू या मार्गदर्शक की भूमिका है तो उनका जीवन उजाले से भर जाता है। प्राचीन काल से पौराणिक ग्रंथों में भारत के महान गुरूओं के बारे में बताया गया है जिन्होनें अपने ज्ञान और तपस्या से पूरी सृष्टि को बदला है। नवाचार के लिए इन गुरूओं का अलग स्थान है।
आदियोगी (भगवान शिव)- हमारे पहले गुरू भगवान शिव है जिन्हें आदियोगी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि, इस सृष्टि के पहले योगी के रूप में भगवान शिव का नाम आता है। इन्होंने पहले 7 ऋषियों को योग का विज्ञान सिखाया था। इसी वजह से वह आदियोगी अर्थात संसार के पहले गुरु कहलाए। इतना ही नहीं योग विद्या को दुनिया में जन्म देने वाले आदियोगी ही है।
भगवान बुद्ध- भारत के महान गुरूओं में भगवान बुद्ध का नाम शामिल है। कहते हैं कि, भगवान बुद्ध के सानिध्य में रहने वाले भक्त परम चेतना के शिखर पर पहुंचते है। बुद्ध भगवान के बारे में यह भी बताया जाता है कि, उनकी आभा इतनी तेज थी कि, इसके प्रभाव से उनके आसपास रहने वाले शिष्य शांत और आनंदित हो जाया करते थे।
वेदव्यास- भारत के महान गुरूओं में महर्षि वेदव्यास का नाम भी आता है। कहते हैं कि, महर्षि वेदव्यास जी का जन्म पाराशर और सत्यवती ऋषि के घर पर हुआ था। जिन्होंने पवित्र ग्रंथ धार्मिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी। व्यास जी का नाता भगवान श्रीगणेश से भी है। वेदव्यास को ही चारों वेदों की सबसे पहले व्याख्या करने वाले रचयिता कहा जाता है।
महावीर - जैन धर्म में महावीर स्वामी को महान गुरू कहा जाता है जो भारत के महान गुरूओं में गिने जाते है। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जिन्होंने लोगों को सदा अच्छे कर्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। महावीर स्वामी ने लोगों को अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलने के लिए कहा है। यहां सतमार्ग पर चलते हुए अच्छे कर्म करने की सीख दी।
आचार्य चाणक्य- भारत के महान गुरूओं में आचार्य चाणक्य का नाम गिना जाता है। चंद्रगुप्त मौर्य के गुरू आचार्य चाणक्य का नाम हर कोई जानता है।आचार्य चाणक्य ने राजनीति, अर्थव्यवस्था, धर्म, समाज आदि विभिन्न विषयों पर खुल कर अपने विचारों को व्यक्त किया, जिनका उल्लेख चाणक्य नीति में मिलता है।