नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद घमंड में चूर हो गए थे मिथुन चक्रवर्ती (फोटो सोर्स-इंस्टाग्राम)
मुंबई: अक्सर कामयाबी का नशा लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगता है। कुछ ऐसा ही मिथुन चक्रवर्ती के साथ भी हुआ था। हाल ही में मिथुन चक्रवर्ती का नाम सिनेमा में भारत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है। पांच दशकों के अपने करियर में एक्टर ने कई भाषाओं में काम किया है। उन्होंने अपने करियर में 350 से ज्यादा फिल्में की हैं। ‘डिस्को डांसर’, ‘कसम पैदा करने वाले की’ और ‘डांस डांस’ जैसी फिल्मों से इंडस्ट्री में अपनी पहचान कायम की थी। पुराने मिथुन के साथ उस वक्त का हर बड़ा डायरेक्टर काम करना चाहता था। कहा जाता है उस दौर में पहला नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद मिथुन दादा में घमंड आ गया था। इसका खुलासा एक्टर ने खुद किया है।
इंडिया टुडे को दिए अपने एक इंटरव्यू में मिथुन ने बताया कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत में खूब संघर्ष किए हैं। उन्होंने अपनी फिल्मी जर्नी को कठिन और दर्दनाक भी बताया। उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में मुंबई के फुटपाथों पर सोने से लेकर फिल्म इंडस्ट्री में किए संघर्षों के बारे में भी बात की। मिथुन चक्रवर्ती ने खुद इस बात का भी खुलासा किया कि जब उन्हें अपने करियर का पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, तो उनके अंदर घमंड समा गया था। उन्होंने कहा कि अवॉर्ड मिलने के बाद उन्हें ऐसा लगता था, जैसे वो सबसे महान एक्टर हैं। उन्होंने याद कि मृगया के बाद उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था।
एक्टर ने खुद इस बात का खुलासा किया कि वो खुद को अल पचिनो समझने लगे थे और उन्ही की तरह एक्ट करते थे। वो कहते हैं, ‘मेरा रवैया इतना बदल गया था कि एक प्रोड्यूसर ने मुझे देखा और कहा चलो बाहर निकलो।’ वो बताते हैं उस दिन के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।
मिथुन बताते हैं कि कई लोगों ने उन्हें ऑटोबायोग्राफी लिखने की सलाह दी थी, लेकिन उनका मानना था उनकी कहानी किसी को भी इंस्पायर नहीं कर सकती, बल्कि उन्हें निराश कर देगी।