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‘इमरजेंसी’ फिल्म के मुद्दे पर उच्च न्यायालय का बड़ा बयान, बोले- रचनात्मक स्वतंत्रता पर…

न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंगना रनौत अभिनीत फिल्म 'इमरजेंसी' को प्रमाणपत्र जारी करने के सिलसिले में निर्णय नहीं लेने पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रति नाराजगी व्यक्त की और 25 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया।

  • By सोनाली झा
Updated On: Sep 19, 2024 | 03:53 PM
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मुंबई: एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया है कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता और सेंसर बोर्ड कानून-व्यवस्था खराब होने की आशंका के कारण किसी फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार नहीं कर सकता।

न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘इमरजेंसी’ को प्रमाणपत्र जारी करने के सिलसिले में निर्णय नहीं लेने पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रति नाराजगी व्यक्त की और 25 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया। पीठ ने पूछा कि क्या सीबीएफसी को लगता है कि इस देश के लोग इतने भोले-भाले हैं कि वे फिल्म में दिखाई गई हर बात पर विश्वास कर लेंगे।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सीबीएफसी राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने में देरी कर रहा है, इसपर उच्च न्यायालय ने कहा कि फिल्म की सह-निर्माता रनौत स्वयं भाजपा की सांसद हैं और क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपने सांसद के खिलाफ काम कर रही है? रनौत ने फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका निभाने के अलावा इसका निर्देशन और सह-निर्माण भी किया है। अभिनेत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीएफसी पर रिलीज में देरी करने के लिए प्रमाणन में बाधा डालने का आरोप लगाया था।

ये भी पढ़ें- सूर्या की फिल्म ‘कंगुवा’ की रिलीज डेट हुई कन्फर्म, बॉबी देओल का दिखेगा खूंखार रूप

पीठ ने कहा कि आपको (सीबीएफसी) किसी न किसी तरह से निर्णय लेना ही होगा। आपके पास यह कहने का साहस होना चाहिए कि यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। कम से कम तब हम आपके साहस और निर्भीकता की सराहना करेंगे। हम नहीं चाहते कि सीबीएफसी टालमटोल की मुद्रा में रहे।” अदालत जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएफसी को फिल्म “इमरजेंसी” के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

फिल्म पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन शिरोमणि अकाली दल समेत सिख संगठनों की आपत्ति के बाद यह विवादों में घिर गई। इन संगठनों का आरोप है कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को तत्काल प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद पीठ ने सेंसर बोर्ड को 18 सितंबर तक फिल्म को प्रमाण पत्र जारी करने के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

गुरुवार को सीबीएफसी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने अदालत को बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष ने फिल्म को अंतिम निर्णय के लिए पुनरीक्षण समिति को भेज दिया है। चंद्रचूड़ ने कहा कि सार्वजनिक अव्यवस्था फैलने की आशंका है। ‘जी एंटरटेनमेंट’ की ओर से वरिष्ठ वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि यह सिर्फ समय बर्बाद करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फिल्म अक्टूबर में हरियाणा चुनाव से पहले रिलीज न हो।

पीठ ने कहा कि सीबीएफसी ने उसके पिछले आदेश का पालन नहीं किया है और केवल एक विभाग से दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डाल दी है। सीबीएफसी को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते किसी फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि इसे रोकना होगा। अन्यथा हम यह सब करके रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह से अंकुश लगा रहे हैं।

अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि लोग फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों के प्रति इतने संवेदनशील क्यों हो गए हैं? न्यायमूर्ति कोलाबावाला ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हमें समझ में नहीं आता कि लोग इतने संवेदनशील क्यों हैं। फिल्मों में हमेशा मेरे समुदाय का मजाक उड़ाया जाता है। हम कुछ नहीं कहते। हम बस हंसते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)

Bombay high court big statement on the issue of kangana ranaut film emergency

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Published On: Sep 19, 2024 | 03:53 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Kangana Ranaut

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