प्रतीकात्मक तस्वीर
Yavatmal News In Hindi: यवतमाल जिले की महागांव तहसील के गुंज गांव में इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत होने की घटना से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। बच्चे की मौत को लेकर परिजनों ने प्राइवेट डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों ने बच्चे का शव लेने से इंकार कर दिया, जिसके चलते गुरुवार को गुंज बस स्टॉप चौक पर तनावपूर्ण स्थिति बन गई। पुलिस का भारी बंदोबस्त तैनात किया गया।
मृतक बच्चे का नाम विश्वनाथ राजू राठौड़ (3) बताया गया है। बच्चे के माता-पिता जम्मू-कश्मीर में काम करते हैं, इसलिए वह अपनी दादी के साथ गुंज गांव में रह रहा था।
बताया जाता है कि बच्चे को निमोनिया था, जिसके इलाज के लिए परिजन उसे गुंज के एक निजी डॉक्टर के पास ले गए। इलाज के दौरान ही कुछ ही देर में बच्चे की मौत हो गई।
बच्चे के माता-पिता जम्मू-कश्मीर में होने के कारण शव को सवना के ग्रामीण अस्पताल में रखा गया। इस घटना के बाद परिजन महागांव पुलिस स्टेशन पहुंचे, जहां पुलिस ने आकस्मिक मृत्यु (AD) का मामला दर्ज करने की बात कही।
इस बीच डॉक्टर और परिजन दोनों ही पक्ष महागांव थाने पहुंचे थे। शुक्रवार को बच्चे का पोस्टमार्टम यवतमाल में किया गया। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि बच्चे की मौत के लिए प्राइवेट डॉक्टर जिम्मेदार है या नहीं। बताया जा रहा है कि इस मामले में परिजन और डॉक्टर के बीच लाखों रुपए तक का आर्थिक व्यवहार हुआ है, जिसकी चर्चा पूरे इलाके में है।
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निमोनिया से पीड़ित तीन वर्षीय बच्चे की मौत के मामले में यह जांच की जा रही है कि इलाज के दौरान डॉक्टर ने कौन सी दवा या डोज दी थी। बच्चे की मौत के बाद एफडीए (औषधि प्रशासन विभाग) ने उपचार में इस्तेमाल की गई दवाओं के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि किस कंपनी की दवा के उपयोग से बच्चे की मौत हुई।
गुंज क्षेत्र में करीब 20 से 22 प्राइवेट डॉक्टर सक्रिय हैं, जबकि काली दौलतखान इलाके में लगभग 40 के करीब ऐसे अवैध डॉक्टरों का कारोबार फल-फूल रहा है। महागांव तहसील के ग्रामीण इलाकों में 100 से अधिक बंगाली और स्थानीय डॉक्टर बिना अनुमति के चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं। ये डॉक्टर अक्सर बॉम्बे मार्केट की निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं का उपयोग करते हैं, जिससे ग्रामीणों का स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है।