यवतमाल न्यूज
Yavatmal News: यवतमाल जिले में आम आदमी का जीवन तो मुश्किल हो ही गया है, लेकिन अगर गांव में किसी गरीब की मौत हो जाए, तो उसके परिवार के लिए अंतिम संस्कार करना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। वजह यह है कि जिले के कई गांवों में श्मशान घाट की ज़मीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे गांवों की संख्या दो-चार नहीं, बल्कि 279 है। पहले गांवों में किसी की मृत्यु पर अंतिम संस्कार कहां करें यह सवाल ही नहीं उठता था।
कभी खेत में, कभी गांव की सीमा पर, तो कभी नदी के किनारे अंतिम संस्कार निपटाए जाते थे। लेकिन अब हर काम के लिए नियम लागू हैं। नियमों के मुताबिक दाह संस्कार सिर्फ़ श्मशान घाट में ही किया जा सकता है। मगर जिले के 279 गांवों में प्रशासन ने दाह संस्कार के लिए ज़मीन उपलब्ध नहीं कराई।
ऐसे में कई जगहों पर अंतिम संस्कार की जगह को लेकर झगड़े भी हुए हैं। पिछले साल जोड़मोहा क्षेत्र के ग्रामीणों ने इसी मुद्दे पर रास्ता रोको आंदोलन भी किया था। उनकी मांग श्मशान घाट के लिए जमीन देने की थी। उस समय प्रशासन ने आश्वासन देकर मामला शांत करा दिया था, लेकिन यह समस्या किसी एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे 279 गांवों की है।
जिले में 1200 ग्राम पंचायतें जिले में कुल बारह सौ ग्राम पंचायतें हैं और इनके अंतर्गत दो हजार से ज्यादा गांव आते हैं। इनमें से 250 से ज्यादा गांवों में श्मशान घाट नहीं हैं, जबकि कई जगहों पर श्मशान घाट तो हैं, लेकिन वहां श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। कई ग्राम पंचायतों ने श्मशान घाट के लिए जमीन स्वीकृत करने के प्रस्ताव जिला परिषद को सौंपे हैं, लेकिन ये प्रस्ताव विभिन्न कारणों से धूल फांक रहे हैं।
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दूसरी ओर बारिश में अंतिम संस्कार करना मृतक के परिजनों के लिए बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। कहीं नदी के उफनते पानी से होकर गुज़रना पड़ रहा है तो कहीं इस श्मशान घाट को किसी समुदाय विशेष के लिए आरक्षित करने के दावे किए जा रहे हैं, जिससे विवाद पैदा हो रहे हैं।
तहसील | गांव |
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आर्णी | 16 |
बाभुलगांव | 09 |
दारव्हा | 14 |
दिग्रस | 10 |
घाटंजी | 29 |
कलंब | 07 |
केलापुर | 12 |
महागांव | 26 |
मारेगांव | 19 |
नेर | 12 |
पुसद | 14 |
रालेगांव | 13 |
उमरखेड़ | 19 |
वणी | 32 |
यवतमाल | 09 |
झरीजामानी | 38 |
कुल | 279 |