किसानों को पर्याप्त मुआवज़ा दिलाने प्रयास करें (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatamal News: मृदा जल संरक्षण मंत्री और पालक मंत्री संजय राठौड़ ने आज महागांव तहसील के फुलसांगवी गांव के प्रभावित नागरिकों और किसानों के खेतों का हुए नुकसान का निरीक्षण किया। इस दौरे में उमरखेड महागांव के विधायक किसन वानखेडे, जिलाधिकारी विकास मीना, जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंदार पत्की, शिवसेना पश्चिम विदर्भ समन्वयक पराग पिंगले, जिला संपर्क प्रमुख श्रीधरकाका मोहोड, उपविभागीय अधिकारी सखाराम मुले, जिला कषि अधीक्षक संतोष डाबरे, महागांव तहसीलदार अभय मस्के सहित अन्य शामिल हुए।
खासकर महागांव तहसील में 16, 17 और 18 अगस्त को भारी बारिश से खेती को काफी नुकसान हुआ है। तहसील प्रशासन खेत की फसलों का मुआयना करें और प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। पिछले दस दिनों में हुई भारी बारिश ने बांध क्षेत्र के किसानों और कई अन्य किसानों के खेतों को भारी नुकसान पहुंचाया है। फुलसांगवी में पचास से ज़्यादा घर ढह गए, जिससे भारी नुकसान हुआ। तहसील के वेणी बांध में बिजली गिरने से कई जानवरों की मौत हो गई है और उन्हें अभी तक नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है।
कई गांवों की सड़कें, खासकर प्रतिबंधित क्षेत्रों में दूरदराज और आदिवासी इलाकों जैसे गद्दी, बोरी, थेराडी आदि में सड़कों पर बने पुल भारी बारिश में पूरी तरह बह गए हैं। कुछ जगहों पर सड़कें काफी फिसलन भरी हो गई हैं। महागांव तहसील में खरीप सीजन की फसलों का ई-फसल निरीक्षण दोपहर 13 बजे शुरू हुआ है। सर्वर के ठीक से काम न करने के कारण पिछले 25 दिनों में केवल 7 से 8% फसलों का ही पंजीकरण हो पाया है।
इससे महागांव तहसील के किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र राज्य में खरीफ सीजन में अब तक लगभग 142 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। बुवाई क्षेत्र का केवल 7 से 8% ही पंजीकृत हो पाया है।
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किसान नेता मनीष जाधव ने कहा कि पालकमंत्री द्वारा महागांव उमरखेड़ उप-विभाग का दौरा किया गया। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों के खेतों और कृषि उपज को भारी नुकसान हुआ है। इसका निरीक्षण किया गया, लेकिन यह दौरा किसानों के प्रति झूठी सहानुभूति और खोखले वादों का दिखावा नहीं होना चाहिए। भारी बारिश से हुई तबाही ने सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। जन-धन और पशुधन की भारी हानि हुई।
तहसील की उपजाऊ ज़मीनें कट गईं और उर्वरता हमेशा के लिए खत्म हो गई। अब प्रशासन द्वारा तत्काल उनकी कृषि उपज का पंचनामा तैयार कर सरकारी नीति के अनुसार किसानों के खातों में पर्याप्त आर्थिक मुआवज़ा पहुंचाना चाहिए।