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कहीं कुएं में कूदे तो कहीं फांसी लगाकर किसान ने की आत्महत्या, परिवार से मिलने पहुंचे पूर्व गृहमंत्री

Farmers Commit Suicide: यवतमाल जिले के महागांव में महाराष्ट्र राज्य के पूर्व गृह मंत्री शनिवार को दहिसावली गांव पहुंचे और आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों से मिलने गए।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Sep 28, 2025 | 01:28 PM

किसान के परिवार से मिले अनिल देशमुख (सौजन्य-नवभारत)

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Yavatmal News: यवतमाल जिले के महागांव में एक ही सप्ताह में दो अलग-अलग किसानों ने आत्महत्या की। एक किसान ने खेत की कुएं में कूदकर अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर दी, जबकि दूसरे ने नुकसान के कारण अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तीन दिन के अंतराल में यह दोनों घटनाएं हुईं, जिससे पूरा क्षेत्र सदमे में है।

पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने 27 सितंबर को आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों से मिलने के लिए महागांव तहसील के दहिसावली गांव का दौरा किया और उन्हें सांत्वना दी। 21 सितंबर को विपुल घोरपड़े नामक किसान ने आत्महत्या की। अगस्त-सितंबर के दो महीनों में लगातार भारी वर्षा के कारण खेतों में व्यापक नुकसान हुआ। कई किसानों के फसलों का अभी तक पंचनामा नहीं हुआ, इसलिए उन्हें क्षतिपूर्ति नहीं मिली।

प्रशासन ने नहीं उठाया कदम

यही कारण है कि आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। दहिसावली गांव में एक युवा किसान की आत्महत्या का दर्द अभी भी ताजा था कि तीन दिन के अंदर दूसरा किसान, नामदेव बाबराव बावणे, ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके बावजूद महागांव तहसील प्रशासन ने अभी तक कोई उचित कदम नहीं उठाया।

दूसरी आत्महत्या करने वाले अल्पभूधारक परिवार के पास बैंक का कर्ज था। अतिवृष्टि के कारण पूरी खेती नष्ट हो गई थी। बैंक कर्ज चुकाने की चिंता में 21 सितंबर को विपुल घोरपड़े ने आत्महत्या की थी। उस समय महागांव तहसीलदार अभय मस्के ने उनके घर जाकर साधारण रूप से सांत्वना दी होती, तो शायद दूसरी आत्महत्या नहीं होती।

प्रशासन के अधिकारी नदारद

प्रशासन की ओर से किसानों को मार्गदर्शन और साहस देना आवश्यक है। प्रभारी कृषि अधिकारी और कृषि केंद्र चालक भी किसानों की समस्याओं का समाधान करने में निष्क्रिय हैं। रासायनिक खाद की कमी और भाव बढ़ने के कारण किसान शासन की व्यवस्थाओं से परेशान हैं। सरकार और प्रशासन की यह स्थिति गंभीर है।

राज्य के अधिकारी और मंत्री कहते हैं कि सरकार किसानों के साथ है, लेकिन जब एक ही सप्ताह में एक गांव में दो किसानों की आत्महत्या हो रही है, और प्रशासन अभी तक ठोस कदम नहीं उठा पाया है, तो यह स्पष्ट नहीं होता कि सरकार वास्तव में किसानों के साथ है। किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है। प्रशासन के अधिकारी आत्महत्या करने वाले किसानों के घर जाकर साधी पूछताछ तक नहीं कर रहे हैं।

जनता दरबार लगाने की मांग

तहसीलदार, मंडल अधिकारी और तलाठी को ऐसी परिस्थितियों में किसानों को मार्गदर्शन और सहानुभूति दिखाना चाहिए। उमरखेड-महागांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक और सांसद केवल निरीक्षण की भूमिका निभा रहे हैं। महागांव तहसील में किसानों को सरकारी सहायता न मिलने का चित्र साफ दिखाई दे रहा है। जिलाधिकारी को इस मामले की संज्ञान लेकर महागांव तहसील में जनता दरबार लगाना चाहिए और किसानों की समस्याओं को सुनना चाहिए। अन्यथा, किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा।

किसानों के लिए उपाय योजना करने हेतु प्रशासन स्तर पर जनता दरबार लगाकर उनकी समस्याओं का तात्कालिक समाधान किया जाना चाहिए। पिछले दो वर्षों में इस क्षेत्र में 85 किसानों ने आत्महत्या की है। प्रशासन ने अभी तक केवल 40 आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मदद दी है, बाकी मामले लंबित हैं।

यह भी पढ़ें – विदर्भ-मराठवाड़ा के बीच इकलौता सड़क संपर्क टूटा, यवतमाल में भारी बारिश का कहर, अरुणावती में बाढ़

तहसीलदार और प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार हैं और उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर बाकी आत्महत्या करने वाले परिवारों को सहायता दिलाना जरूरी है। केवल मीडिया के माध्यम से ही किसानों की समस्याओं को उठाना पर्याप्त नहीं है। शासन और प्रशासन को आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों की समस्याओं को समझकर तात्कालिक मदद सुनिश्चित करनी चाहिए। किसानों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

Farmers suicide jumping into wells hanging themselves anil deshmukh visits family

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Published On: Sep 28, 2025 | 01:27 PM

Topics:  

  • Anil Deshmukh
  • Maharashtra
  • Yavatmal
  • Yavatmal News

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