
सुपरमून (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Cold Moon Tonight: गुरुवार, 4 दिसंबर को वर्ष 2025 का अंतिम “सुपरमून” दिखाई देने वाला है। इस दौरान चांद का प्रकाश सामान्य की तुलना में लगभग 30% अधिक चमकदार होगा। चांद पृथ्वी की परिक्रमा दीर्घवृत्ताकार कक्षा में करता है, जिसके कारण वह महीने में एक बार पृथ्वी के सबसे करीब और एक बार सबसे दूर आता है।
जब चांद पृथ्वी से सामान्य से कम दूरी पर पहुंचता है, तब उसका आकार और चमक बढ़ी हुई प्रतीत होती है। ऐसे चांद को “सुपरमून” कहा जाता है। सामान्यतः वर्ष में चार से छह बार सुपरमून का योग बनता है। पिछले वर्ष 17 अक्तूबर को अंतिम सुपरमून दिखाई दिया था, जबकि इस वर्ष का अंतिम सुपरमून 4 दिसंबर को दिखाई देगा।
4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार रात 11 बजकर 14 मिनट पर चांद पृथ्वी के न्यूनतम दूरी पर होगा। उस समय पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 3,57,218 किलोमीटर रहेगी। यह स्थिति लगभग 22 मिनट तक बनी रहेगी और इस दौरान चांद सामान्य की तुलना में 30 फीसदी अधिक तेजस्वी और आकार में लगभग 14 फीसदी बड़ा दिखाई देगा।
“सुपरमून” शब्द खगोलशास्त्र की वैज्ञानिक शब्दावली में नहीं आता, बल्कि इसे 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने प्रचारित किया था। आजकल वर्ष के प्रत्येक पूर्णिमा चांद को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इस परंपरा के अनुसार दिसंबर की पूर्णिमा को “कोल्ड मून” कहा जाता है। चांद के गुरुत्वाकर्षण के कारण महासागरों में भरती आती है। 4 दिसंबर को चांद पृथ्वी के अत्यधिक निकट होगा, जिसके कारण समुद्र में सामान्य से ऊंची तरंगें उठने की संभावना जताई जा रही है।
यह भी पढ़ें – शिवसेना के गुंडों को बर्दाश्त…BJP पदाधिकारी के घर पर पथराव, वाहनों की तोड़फोड़, यवतमाल में बवाल!
चांद के पास और दूर होने से आकार में होने वाला परिवर्तन बहुत सूक्ष्म होता है, जिसे सामान्य दृष्टि से पहचानना मुश्किल होता है। परंतु वैज्ञानिक विशेष फोटोग्राफी के माध्यम से इन परिवर्तनों को स्पष्ट रूप से दर्ज कर सकते हैं। यदि मौसम साफ रहा और बादलों का बाधा न रही तो आकाश प्रेमियों और खगोल अध्ययन में रुचि रखने वालों को इस घटना का अवलोकन करने की अपील स्काय वॉच ग्रुप यवतमाल के अध्यक्ष रविंद्र खराबे तथा सदस्य प्रमोद जिरापुरे, उमेश शेंबाडे, भूषण ब्राह्मणे, जयंत कर्णिक, पंकज गोपतवार, पूजा रेकलवार, मानसी फेंडर और शुभांगी झिलपे ने की है।






