सोयाबीन को चबाकर नमी जांचते हुए (फोटो नवभारत)
Wardha News In Hindi: इन दिनों किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन को बाजार समिति में बिक्री के लिए ला रहे हैं। वर्धा जिले के बाजार समितियों में इस सीजन एक विचित्र नज़ारा देखने को मिल रहा है। लाखों रुपये के कृषि उत्पादों का भाव अब मशीन नहीं, बल्कि दांत तय कर रहे हैं। नमी जांचने वाली सरकारी मशीनें धूल खा रही हैं और व्यापारी किसानों की मेहनत का दाम ‘मुंह से’ आंक रहे हैं। इससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
बारिश के कारण सोयाबीन गीला होने से इसकी नमी दांतों से जांचकर मूल्य तय किए जा रहे हैं। नमी जांचने की मशीनें धूल में पड़ी हैं। बाजार समिति की अनदेखी से किसानों की लूट हो रही है और उनके बीच यह भावना पैदा हो रही है कि प्रशासन निष्क्रिय है।
इस वर्ष सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,325 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, लेकिन अत्यधिक बारिश के कारण सोयाबीन और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कुछ किसानों को कटाई के बाद प्रति एकड़ सिर्फ एक-दो क्विंटल उपज ही प्राप्त हुई है।
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बाजार में काले धब्बों वाले सोयाबीन को व्यापारी 500 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीद रहे हैं, जबकि अच्छे सोयाबीन के लिए भी 4,000 रुपये से कम का मूल्य मिल रहा है। इससे किसानों को प्रति पोती लगभग 1,300 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
व्यापारी सोयाबीन खरीदी से पहले नमी जांचने की मशीन की जगह दाने को दांतों से चबा कर जांचते हैं। अगर दाना कड़ा मिलता है तो अच्छे दाम मिलते हैं, लेकिन अगर दाना गीला है तो वे किसानों से बहुत कम दाम पर खरीद लेते हैं। कृषि उपज बाजार समितियों के कार्यालयों में नमी जांचने की मशीनें धूल खा रही हैं और कोई भी व्यापारी इनका इस्तेमाल नहीं कर रहा है।