लोगों से बात करतीं न्यायमूर्ति वृषाली जोशी (फोटो नवभारत)
Wardha National Lok Adalat News: वर्धा जिले के सभी न्यायालयों में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित कुल 2,311 प्रकरण आपसी समझौते से निपटाए गए, जिनमें समझौता राशि ₹5 करोड़ 25 लाख 52 हजार 252 रुपए रही। साथ ही वाद दायर पूर्व के 3,111 प्रकरणों का भी आपसी समझौते से निपटारा किया गया, जिनकी समझौता राशि ₹1 करोड़ 14 लाख 37 हजार 82 रुपए रही। इस प्रकार कुल 5,422 प्रकरणों का निपटारा किया गया, जिनमें समझौता राशि कुल ₹6 करोड़ 39 लाख 89 हजार 334 रुपए रही।
राष्ट्रीय लोक अदालत में वर्धा अर्बन एंड रूरल को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी बनाम प्रीतम किटे के ₹39 लाख की राशि से संबंधित मामला, जो 2021 से न्यायालय में लंबित था, वह भी समझौते से निपटाया गया। इस समझौते में पैनल प्रमुख मुख्य न्याय दंडाधिकारी जी।वी। जांगडे-देशपांडे, पैनल के सदस्य डीआर जैन तथा पैनल अधिवक्ता का विशेष योगदान रहा।
राष्ट्रीय लोक अदालत लोकमुखी न्याय प्रणाली का एक सर्वोत्तम माध्यम है, ऐसा वक्तव्य मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की न्यायमूर्ति तथा जिले की पालक न्यायमूर्ति वृषाली जोशी ने दिया। जिले के सभी न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया था।
वर्धा में आयोजित लोक अदालत का निरीक्षण करते समय वे बोल रही थीं। न्यायमूर्ति वृषाली जोशी ने इस दौरान पक्षकारों से संवाद भी किया। इस अवसर पर प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश हेमंत गायकवाड़, जिला न्यायाधीश-1 तथा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसएएसएम अली, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विवेक देशमुख उपस्थित थे।
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न्यायमूर्ति वृषाली जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से लंबित मामलों का आपसी समझौते से निपटारा कर पक्षकारों का समय, खर्च और मानसिक तनाव कम किया जाता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए कुल सात पैनल बनाए गए थे। इन पैनलों के अंतर्गत समझौता योग्य सभी फौजदारी अपील व दीवानी अपील प्रकरण, मामूली फौजदारी और दीवानी मामले, मोटर दुर्घटना मुआवजा, विद्युत अधिनियम, दीवानी दावे, भूमि अधिग्रहण, धारा 138 एनआई एक्ट के मामले, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा संबंधी प्रकरण, आवेदन, विवाह याचिकाएं आदि रखे गए थे।
सभी पैनलों का निरीक्षण न्यायमूर्ति वृषाली जोशी ने किया। लोक अदालत की एक विशेष उपलब्धि यह रही कि एक व्यवसायिक लेन-देन के मामले में, जिसमें ₹11 लाख की उधारी दी गई थी और जो पिछले छह वर्षों से न्यायालय में लंबित था, उसमें बिना किसी अतिरिक्त क्षतिपूर्ति के मूल राशि पर आपसी समझौता किया गया।