(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Compensation For Damage Caused By Wild Animal Attacks: वन्यजीवों के हमलों में अगर किसी की मृत्यु होती है, घायल होता है, फसल या पशुधन का नुकसान होता है, तो वन विभाग की ओर से मुआवजा दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में वन विभाग ने वर्धा में कुल 10 हजार 72 मामलों का निपटारा करते हुए 8.71 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया है। इसमें फसल हानि के 9287 और पशुधन हानि के 709 मामलों का समावेश है।
हालांकि, किसानों का आरोप है कि वन्य प्राणियों द्वारा लाखों का नुकसान किए जाने पर भी वन विभाग द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि बहुत कम होती है।
बोर टाइगर प्रोजेक्ट के बफर क्षेत्र का एकीकृत नियंत्रण वन्यजीव विभाग को सौंपा गया है। वर्तमान में लगभग 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र प्रादेशिक वन विभाग के अंतर्गत आता है, जिसमें झाड़ीदार और आरक्षित जंगल शामिल हैं। इन क्षेत्रों में नीलगाय, जंगली सूअर जैसे जानवरों की भरमार है, जो किसानों की खड़ी फसलों को नष्ट करते हैं।
वहीं, मांसभक्षी जानवर पालतू पशुओं को मार डालते हैं, और कभी-कभी मानव-वन्यजीव संघर्ष भी होता है। ऐसी घटनाओं में मृत व्यक्ति के परिजनों, घायलों, पशुधन हानि और फसल हानि के मामलों में सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है।
1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक वन विभाग ने 10,072 मामलों में कुल 8 करोड़ 71 लाख 85 हजार 200 रुपए का मुआवजा वितरित किया। इसमें फसल हानि के 9287 मामले व पशुधन हानि के 709 मामले है।
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नुकसान की श्रेणी | मुआवजा राशि |
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मानव मृत्यु | 25,00,000 रुपए |
मानव घायल | 1,23,60,721 रुपए |
फसल हानि | 5,61,95,147 रुपए |
पशुधन हानि | 1,61,29,279 रुपए |
मुआवजा प्राप्त करने के लिए वन विभाग में आवेदन करना आवश्यक है। प्राप्त आवेदन के आधार पर तीन सदस्यीय समिति नुकसान का पंचनामा करती है। यह समिति ग्राम स्तर पर कार्यरत होती है, जिसमें वनरक्षक, पटवारी और कृषि सहायक शामिल होते हैं।
23 जून को पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर की अध्यक्षता में आयोजित जिला नियोजन समिति की बैठक में कुछ जनप्रतिनिधियों ने पंचनामा प्रक्रिया में देरी की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद विभाग द्वारा समय पर पंचनामें पूरे करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।