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जिले को एक और सन्मान मिला, सिंधूताई सपकाल को पद्मश्री पुरस्कार घोषित

  • By navabharat
Updated On: Jan 25, 2021 | 10:49 PM
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वर्धा: अनाथ बच्चों की माता सिंधूताई सपकाल को केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पुर्व संध्या पर पद्मश्री पुरस्कार घोषित किया  है.जिससे जिले को और एक बडा सन्मान मिला है.

सिंधूताई सपकाल का जन्म सेलु तहसील के जंगलव्याप्त नवरगाव गांव में अभिमान साठे के यहां हुआ था.गाव जंगल से घिरा होने के कारण उनका परिवार मवेशियों को पालने का काम करता था. 4 थी तक शिक्षा अधिग्रहन करने के उपरांत 9 साल की उम्र में उनका विवाह उनसे करीब 26 साल बडे श्रीहरी सपकाल से हुआ.विवाह के उपरांत ससुराल में उनकी प्रताडना भी होती थी.वनविभाग व्दारा गोबर उठाने का कार्य उन्होंने किया.

गोबर उठाने के बदले में किसी भी प्रकार की मजदूरी नही मिलने से उन्होंने अपने जिवन का पहिला संघर्ष किया.उनके कारण सभी को अपना हक मिला.किंतु इसकी किंमत उन्हें चुकानी पडी.दमडाजी असतकर ने उनकी बदनामी करने से गर्भवती सिंधूताई की प्रताडना हुई.इसी दौरान उन्हें जनावरों के गोठे में लडकी हुई. उपरांत परिवारवालों ने उन्हें घर के बाहर निकाला. 

ससुराल व मायके ने ठुकराने से आहत सिंधूताई ट्रेन पकडकर चली गई.मनमाड,नांदेड व परभणी रेलवे स्टेशन पर भिक मांगकर अपना व पुत्री का  गुजारा किया.इसी दौरान बेटी के साथ ही उन्होंने अनाथ बच्चों को संभालने काम किया.

अनाथों की संख्या बढने से उन्होंने सान 1994 में पुणे जिले के कुंभारवलण गाव में ममता बाल सदन की निव रखी.अनाथ बच्चों की देखभाल कर उन्हें सक्षम बनाने के लिए सिंधूताई ने अपना कार्य शुरू किया.जिसके बाद उन्होंने अनेक संस्थाओं की स्थापना की.उन्हें अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय अनेक पुरस्कार मिले है.

The district got another honor sindhutai sapkal declared padma shri award

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Published On: Jan 25, 2021 | 10:49 PM

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