TET अनिवार्य के विरुद्ध प्रहार का आंदोलन (सौजन्य-नवभारत)
Teachers Wrote Letter to CM: वर्धा जिले में 53 वर्ष से नीचे सभी कक्षा 1 से 8वीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी पात्रता परीक्षा अनिवार्य करने संदर्भ में हाई कोर्ट ने 1 सितंबर को निर्णय दिया है। इस संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर यह स्पष्ट किया है कि किसी भी शिक्षक को सेवा से मुक्त होने की नौबत न आए। इसी मांग को लेकर शिक्षकों ने अपने खून से पत्र लिखकर मुख्यमंत्री व शिक्षण मंत्री को ज्ञापन भेजा।
शहर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौराहे पर नागपुर विभाग अध्यक्ष अजय भोयर की अगुवाई में रविवार को यह आंदोलन किया गया। डेढ़ घंटे की टीईटी परीक्षा के आधार पर शिक्षकों की पात्रता तय कर, गत 20 से 25 वर्षों से ईमानदारी से अध्यापन कर रहे शिक्षकों की सेवाओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती। यदि टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण न हो पाई तो संबंधित शिक्षक को सेवा मुक्त करना अथवा स्वेच्छा निवृत्ति लेना न्यायसंगत नहीं है।
इसलिए सरकार से इस प्रकरण में कार्यरत सभी शिक्षकों को संरक्षण देने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की गई। इस आंदोलन में प्रहार शिक्षक संगठन के सचिव गजानन कुरवाडे, जिलाध्यक्ष पुंडलिक नाकतोडे, राजकुमार तिरभाने, धनराज कावटे, मुकेश इंगोले, राजीव धात्रक, अनिल टोपले, रवींद्र कोठेकर, रहीम शहा, संतोष महाजन, कुंडलिक राठोड, मनीष मारोटकर, पराग वाघ, संजय बारी, पुरुषोत्तम शेकार, भरत चौधरी, शैलेंद्र भोसले सहित असंख्य शिक्षक शामिल हुए थे।
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13 फरवरी 2023 से महाराष्ट्र सरकार ने टीईटी पात्रता परीक्षा अनिवार्य की है। इसके पूर्व नियुक्त सभी शिक्षकों को भी यह परीक्षा पास करना अनिवार्य करना न्यायोचित नहीं है। अगर शिक्षकों के लिए यह शर्त है तो स्वास्थ्य मंत्री एमबीबीएस, कृषि मंत्री कृषि स्नातक, कानून मंत्री एलएलबी और शिक्षण मंत्री भी टीईटी धारक होना चाहिए – इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। न्यायालय का यह निर्णय राज्य के लाखों शिक्षकों पर लागू करने से असंख्य परिवारों के उद्ध्वस्त होने का डर है। इससे शिक्षा क्षेत्र भी लड़खड़ा जाएगा।