जिप की 90% पाठशालाएं रहीं बंद (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Teachers Protest Wardha: सरकारी नीतियों के चलते स्कूलों पर मंडरा रहे संकट के विरोध में शुक्रवार को शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी संगठनों द्वारा किए गए स्कूल बंद आंदोलन को व्यापक प्रतिसाद मिला। जिले में जिप की 90 प्रतिशत और शहर की 75 प्रतिशत स्कूलें बंद रहीं। राज्य सरकार की संच मान्यता नीति के कारण महाराष्ट्र की हजारों स्कूलों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है। कई स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं या बहुत कम संख्या में हैं।
इसी प्रकार, शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को लेकर भी राज्य सरकार ने अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। इसके चलते बड़ी संख्या में प्रभावित शिक्षकों में रोष बढ़ रहा है।इसके अलावा स्थानीय स्वराज संस्थाओं की शालाओं में ऑनलाइन और ऑफलाइन अशैक्षणिक कार्यों का बोझ बढ़ने से शिक्षक परेशान हैं। अनेक लंबित मांगों की अनदेखी के विरोध में राज्य शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी संगठनों की समन्वय समिति ने शुक्रवार को शाला बंद आंदोलन का आह्वान किया था।
समन्वय समिति के विभिन्न पदाधिकारियों विजय कोम्बे, लोमेश वरहाडे, अजय भोयर, सतीश जगताप, प्रमोद खोडे, अरुण झोटिंग, गौतम पाटिल, प्रमोद मुरार, रवींद्र राठोड, छत्रपति फाटे, अजय बोबडे, अतुल उडदे, महेंद्र सालंकर, अजय वानखेड़े, प्रफुल्ल कांबले, सुनील तेलतुंबडे, अशोक अडे, वासुदेव दिगवाने, गजानन भुते, मारुति सैयाम, पराग शेगोकर, संजय पगड़े, सुनील कोल्हे, श्रीकांत अहेरराव, प्रदीप गोमासे, सुधीर सगणे, हेमंत पारसडे, प्रशांत निंभोरकर, मिलिंद सालोडकर, मारोती सायम और आकाश पाटील ने अपनी मांगों का ज्ञापन निवासी उपजिलाधिकारी जाधवर को सौंपा। वहीं हिंगनघाट और आर्वी में एसडीओ तथा तहसील स्तर पर तहसीलदार को ज्ञापन दिया गया।
समन्वय समिति ने 17 नवंबर को राज्य सरकार को आंदोलन की नोटिस देकर अपनी प्रमुख मांगों पर त्वरित निर्णय लेने की मांग की थी। प्रमुख मांगों में शामिल हैं —
ये भी पढ़े: नागपुर में ही क्यों होता है महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र? जानिए क्या है इसके पीछे का इतिहास