बोर सफारी (सौजन्य-नवभारत)
Wardha News: मध्य भारत का जैव विविधता से भरपूर एक प्रमुख टाइगर प्रोजेक्ट वर्धा जिले के सेलू तहसील स्थित बोर व्याघ्र प्रकल्प अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बाघों की उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक जंगल सफारी के दौरान बाघों समेत कई अन्य वन्यजीवों का दर्शन करते हैं। जंगल की हरियाली, पहाड़ों का सौंदर्य, बाघ की दहाड़ और मोर की कूजन, यह सब अनुभव बोर सफारी को खास बनाते हैं।
हर साल की तरह 1 अक्टूबर से यह टाइगर प्रोजेक्ट जंगल सफारी के लिए पर्यटकों के लिए खोला जाता है। लेकिन इस साल लगातार हो रही भारी बारिश और मौसम विभाग द्वारा अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी के चलते 1 अक्टूबर को सफारी शुरू नहीं की जाएगी, ऐसा वन विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है।
बोर व्याघ्र प्रकल्प, जो अगस्त 2014 में टाइगर प्रोजेक्ट घोषित हुआ था, में अंबिका, कैटरिना, पिंकी नाम की बाघिनें और युवराज नाम का एक आकर्षक बाघ मौजूद हैं। इन बाघों को देखने के लिए विदर्भ ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के बाहर से भी पर्यटक यहां आते हैं। कई वीवीआइपी हस्तियां भी यहां आकर जंगल सफारी का आनंद ले चुकी हैं।
हर साल मानसून के दौरान यह प्रोजेक्ट पर्यटकों के लिए बंद रहता है और अक्टूबर से फिर से खोला जाता है। सफारी के लिए 15 अक्टूबर तक ऑफलाइन बुकिंग की जाती है, इसके बाद ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा दी जाती है। इस वर्ष भारी वर्षा के कारण जंगल सफारी की शुरुआत 15 अक्टूबर तक टलने की संभावना जताई जा रही है।
बोर टाइगर प्रोजेक्ट का कोर क्षेत्र 13,800 हेक्टेयर और बफर ज़ोन 67,814.46 हेक्टेयर में फैला है। यहां लगभग 20 व्यस्क बाघों का निवास है। कोर और बफर क्षेत्र दोनों ही बाघ, तेंदुआ, भालू जैसे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। बफर ज़ोन में भी पर्यटकों के लिए सफारी ट्रैक तैयार किया गया था, जिसका लोकार्पण 1 अक्टूबर को प्रस्तावित था। लेकिन बार-बार हो रही भारी बारिश और ढलानों पर बने रास्तों के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से फिलहाल इस योजना पर भी विराम लग गया है।
यह भी पढ़ें – टिपेश्वर में गूंज रही बाघ की दहाड़, आने वाले पर्यटकों की संख्या 4000 से बढ़कर हुई 30000 तक
बोर टाइगर रिज़र्व में सामान्यतः 1 अक्टूबर से जंगल सफारी शुरू होती है। लेकिन वर्तमान में हो रही बारिश के कारण कोर और बफर ज़ोन दोनों में सफारी शुरू होने की संभावना कम है। बारिश थमने के बाद जल्द से जल्द रास्तों की मरम्मत कर सफारी शुरू की जाएगी।
– मंगेश ठेंगडी, उपसंचालक, बोर व्याघ्र प्रकल्प, वर्धा