दलहन-तिलहन फसल को नहीं मिल रही MSP (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Vidarbha,Farmers: दलहन (दाले) व तिलहन(तेल बिज) को एमएसपी भी बाजार में नहीं मिल रही है़। ऐसे में किसानों की आमदनी दुगनी कैसे होगी, ऐसा सवाल किसान नेता विजय जावंधिया ने उपस्थित किया है़। उनके द्वारा भारत सरकार नीति आयोग के सदस्य रमेशचंद को निवेदन भेजा है़। भारतरत्न प्रो.स्वामीनाथन के जन्मशताब्दी महोत्सव के समय 7-9 अगस्त 2025 में आप से दिल्ली में मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ़।
निवेदन में कहा है कि, आपने मेरी व्यथा भी सुन ली, मैं आपका आभारी हूं। हम गेहूं, चावल में अतिरिक्त उत्पादन कर रहे है़। परंतु अभी भी हम 60 प्रतिशत खाने का तेल आयात कर रहे है़। हम करीब 46 लाख रूपए दाले भी आयात कर रहे है़ं।
निवेदन में आगे कहा गया है कि 12000 रु. प्रति क्विंटल तक गए हुए तुअर (अरहर) के दाम 6000 रुपए तक गिर गए है़ं। हमे यह बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तुअर का दाम 425 डॉलर प्रति टन याने 3700 रुपए से 4000 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए है़। पीला बटाना 3000 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल के दाम से आयात हो रहा है़। हमने करीब करीब सभी दालें 0 प्रतिशत ड्यूटी पर आयात की है़। इसी कारण बाजार में दालों को एमएसपी, न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है़।
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किसान नेता विजय जावंधिया ने सवाल किया कि भारत सरकार बार-बार घोषणा करती रहती है कि दालों में आत्मनिर्भरता के लिए किसानों ने दालों का उत्पादन बढ़ाना चाहिए़। सरकार किसानों से एमएसपी पर दाना-पाना खरीदेगी़ परंतु सरकार की खरीदी नहीं है़। यह व्यथा मैने आपके सामने रखी़। उत्पादन बढ़ाने के लिए पूंजी खर्च भी बढ़ता है़। एमएसपी भी न मिलने से कर्ज भी बढ़ता है़। तो आमदानी दुगनी कैसे होगी, सब का साथ, सब का विकास कैसे होगा़।
विजय जावंधिया ने कहा कि आपने मुझे कहा कि केंद्र ने राज्य सरकारों को एमएसपी की खरीदी भी जिम्मेदारी दी है़। केंद्र सरकार राज्य सरकार को पूंजी देती है़। महाराष्ट्र में तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, परंतु यहां खरीदी नहीं है, हम क्या करें। इस वर्ष तो दुनिया के बाजार में मंदी बढ़ी रही है़। खरीप की किसी भी फसल को 50 प्रश घोषित एमएसपी भी नहीं मिलने वाली है़। जिस तरह सरकारी कर्मचारियों के वेतन आयोग की सुरक्षा करती है़। उसी तरह एमएसपी की सुरक्षा करें, ऐसी मांग निवेदन के माध्यम से की गई है़।