वर्धा में भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Wardha Politics: वर्धा जिले में सबसे अधिक दावेदार भाजपा से सामने आए हैं, जिससे टिकट वितरण को लेकर वरिष्ठ नेताओं के सामने पेच फंस सकता है। वर्धा नगर परिषद के नगराध्यक्ष पद के लिए ओबीसी (पुरुष) वर्ग के लिए आरक्षण घोषित हुआ है। आरक्षण तय होने के बाद कुछ संभावित उम्मीदवारों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है, लेकिन ओबीसी वर्ग से कई नए दावेदार उभरकर सामने आए हैं।
भाजपा की ओर से नगराध्यक्ष पद के लिए कई नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वर्ष 2016 से 2021 तक नगराध्यक्ष रहे अतुल तराले एक बार फिर दावेदारी के लिए सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर के गुट से पूर्व बांधकाम सभापति एवं शहर अध्यक्ष निलेश किटे व पूर्व शहर अध्यक्ष प्रशांत बुर्ले प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।
इसके अलावा निलेश पोहेकर व सुरेश पट्टेवार जैसे नाम भी भाजपा की टिकट की दौड़ में हैं। पूर्व नगराध्यक्ष अतुल तराले और पालकमंत्री डॉ. भोयर के बीच राजनीतिक संघर्ष लंबे समय से चला आ रहा है। निलेश पोहेकर भी भोयर विरोधी गुट से माने जाते थे, लेकिन पिछले एक वर्ष से उन्होंने पालकमंत्री गुट से संबंध सुधारने पर जोर दिया है।
कांग्रेस की ओर से सुधीर पांगुल, प्रवीण हिवरे और सुरेश ठाकरे संभावित चेहरे हो सकते हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस की ओर से हिवरे मैदान में थे, जबकि सुधीर पांगुल ने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था। भाजपा के अतुल तराले विजयी हुए थे, जबकि पांगुल दूसरे और हिवरे तीसरे स्थान पर रहे थे। जिले की राजनीति में तेली-कुणबी विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। सभी प्रमुख दलों की कोशिश होगी कि वे तेली या कुणबी समुदाय से ही अपना प्रत्याशी दें।
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वर्धा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और पालकमंत्री होने के नाते डॉ. भोयर इस विवाद से दूर रहना चाहेंगे। कांग्रेस में सुधीर पांगुल को प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन शेखर शेंडे गुट और राकांपा–एसपी गुट के नेता सुरेश देशमुख उनके नाम का विरोध कर सकते हैं। दोनों नेता नहीं चाहेंगे कि पांगुल भविष्य में कांग्रेस में प्रबल नेतृत्वकर्ता बनकर उभरें। कांग्रेस में विस चुनाव के लिए भी कई इच्छुक नेता हैं, जो पांगुल की दावेदारी से असहज हो सकते हैं।
भाजपा की ओर से एक बार फिर तेली समुदाय से उम्मीदवार दिए जाने की संभावना है। हालांकि, पिछले चुनाव में तेली प्रत्याशी दिए जाने के चलते इस बार कुणबी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए कुणबी समाज के प्रत्याशी पर भी विचार किया जा सकता है। भाजपा शहर अध्यक्ष निलेश किटे स्वयं कुणबी समाज से आते हैं व पालकमंत्री के करीबी माने जाते हैं। यदि उनका नाम पीछे हटता है, तो पालकमंत्री की ओर से प्रशांत बुर्ले को प्राथमिकता दी जा सकती है। वहीं, भोयर विरोधी गुट अतुल तराले के नाम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।