संतरे की फसल हुई नष्ट (सौ. सोशल मीडिया )
Wardha News In Hindi: जिले के आर्वी, आष्टी और कारंजा तहसीलों में बड़े पैमाने पर संत्रा की खेती की जाती है। इस वर्ष किसानों ने लगभग 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में संत्रा फसल ली है। गर्मी की शुरुआत में पेड़ों पर आंबिया बहार आया था।
जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा थी, उन्होंने पानी देकर फलों को बचाया, लेकिन जिनके पास पानी की कमी थी, उनके बागों में फलों की गिरावट शुरू हो गई। मई महीने में हुए अकाल वर्षा ने कुछ हद तक फलों को बचाया, लेकिन जून में तापमान बढ़कर 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे फलों पर विपरीत असर पड़ा।
जुलाई से 6 अक्टूबर तक लगातार बारिश के कारण पेड़ों की स्थिति और खराब हो गई। बारिश और नमी की वजह से फंगल रोग का प्रकोप बढ़ गया है, साथ ही कीटों की संख्या भी बढ़ने से फलों को नुकसान पहुंच रहा है। इन कीटों के डंक से संतरों की गुणवत्ता खराब हो रही है और बड़ी मात्रा में फलों की गिरावट हो रही है।
इस वर्ष आंबिया और मृग दोनों बहार की फसल प्रभावित हुई है, जिससे आंबिया बहार के फलों की मांग अधिक थी। लेकिन बारिश के कारण जबरदस्त फलों की गिरावट होने से किसानों ने हरे फलों की तुड़ाई कर उन्हें बाजार में भेजना शुरू कर दिया। इससे बाजार में संतरों की आवक बढ़ गई और कीमतों में गिरावट आई। फिलहाल बाजार में संत्रे की खरीद 300 रुपये प्रति कैरेट की दर से हो रही है, जो किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
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किसानों की इस गंभीर समस्या को विधानसभा में उठाया गया, जिसके बाद सरकार ने फसल नुकसान के सर्वेक्षण के आदेश दिए। कृषि विभाग के अधिकारियों ने कुछ चुनिंदा बागों तक पहुंचकर सर्वे किया, लेकिन अधिकांश बागों का सर्वेक्षण अभी तक नहीं हुआ है। इस कारण किसानों में यह अस्पष्टता बनी हुई है कि उन्हें सरकारी मदद मिलेगी या नहीं। संत्रा उत्पादक किसान अब सरकार से जल्द निर्णय लेने और उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।