भ्रष्टाचार : प्रणाली को तीन दिन की पीसीआर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha Corruption Case: मनरेगा योजना के तहत गरीब और श्रमिक वर्ग के लिए जारी किए जाने वाले 70 लाख रुपये से अधिक के सरकारी फंड के गबन मामले में आर्वी पुलिस ने 26 नवंबर को आर्वी पंचायत समिति की मनरेगा सहायक कार्यक्रम अधिकारी प्रणाली कसर सहित अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया। ऑनलाइन सिस्टम में दक्ष प्रणाली कसर ने तकनीकी ज्ञान का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत ने उसे तीन दिन की पुलिस हिरासत (पीसीआर) में भेज दिया है।
सूत्रों के अनुसार, प्रणाली कसर पहले डेटा एंट्री ऑपरेटर और बाद में मनरेगा सहायक कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत थी। उसने ‘अंबिका टीबीएम सप्लायर’ नाम से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आर्वी में बैंक खाता खुलवाया और इसी नाम से एजेंसी को वेंडर के रूप में पंजीकृत भी करा दिया। मनरेगा के तहत कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए अलग-अलग मदों में राशि आवंटित की जाती है।
अकुशल श्रमिकों के भुगतान आधार-आधारित प्रणाली द्वारा सीधे उनके खातों में किए जाते हैं, जबकि कुशल श्रेणी की एजेंसियों को आवश्यक दस्तावेज जमा करने होते हैं और पंजीकरण बीडीओ के लॉगिन से अनुमोदित होता है। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि प्रणाली ने अंबिका एजेंसी का पंजीकरण किस प्रकार कराया और किन अधिकारियों को अंधेरे में रखा। यह अब पूछताछ का मुख्य बिंदु होगा।
प्राप्त शिकायत के बाद प्रारंभिक जांच में 25 लाख 28 हजार 319 रुपये के गबन का पता चला था। लेकिन जिलास्तरीय जांच समिति द्वारा की गई विस्तृत जांच में यह राशि 70 लाख रुपये से अधिक पाई गई, जिसके बाद मामला फौजदारी कार्रवाई हेतु पुलिस को सौंपा गया। बुधवार को मामला दर्ज करने की प्रक्रिया जारी थी, तभी पुलिस ने प्रणाली कसर को हिरासत में ले लिया। साथ ही आर्वी की गटविकास अधिकारी सुनीता मरसकोल्हे को पूछताछ के लिए बुलाया गया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रणाली को आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से तीन दिन का पीसीआर मिला।
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प्रणाली कसर वर्तमान में पुलिस हिरासत में है। अब यह सबसे बड़ा सवाल है कि क्या वह पूछताछ में सहयोग करेगी या नहीं। यदि पुलिस उससे महत्वपूर्ण जानकारी निकलवाने में सफल रही, तो इस घोटाले में शामिल बड़े अधिकारी या अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम भी उजागर हो सकते हैं।