तेंदुआ (सोर्स: सोशल मीडिया)
Leopard Terror In Karanja: वर्धा जिले के सबसे अंतिम हिस्से में स्थित जऊरवाडा, खैरी टावर और नागपुर जिले से सटे कोल्हू, भालू, चिखला गढ़ गांवों के आसपास के क्षेत्रों में पिछले दो महीनों से खैरी बांध के आसपास तेंदुए ने आतंक मचा रखा है। तेंदुए ने कई किसानों के खेतों में घुसकर उनके पालतू जानवरों पर हमला कर उन्हें मार डाला है, जिससे पूरे क्षेत्र में भय का माहौल है।
खैरी और जऊरवाडा क्षेत्र में तहसील का एकमात्र खैरी बांध स्थित है, जिसके चारों ओर घना जंगल फैला हुआ है। यह क्षेत्र हिंसक जंगली जानवरों का ठिकाना बन गया है। इससे किसानों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि खेती कैसे करें? यही नहीं, स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं भी डर के माहौल में पढ़ाई के लिए आ-जा रहे हैं।
पिछले ही कुछ हफ्तों में तेंदुए द्वारा कई किसानों के जानवर मारे गए हैं। जिनमें से रमेश कुरडकर की गाय, गुणवंत लक्षुलाल डोहलिया की बछड़ी, धर्मराज सिताराम जुक्सेनिया की एक गाय और दो बकरियां, खैरी टावर के होमराज देवासी की गाय, रमेश शंकर पेरोडिया का बछड़ा और 5 से 6 कुत्तों को भी तेंदुए ने मार डाला है।
वन विभाग को इसकी जानकारी दिए जाने के बाद, तीन से चार दिन पहले जऊरवाडा और कोल्हू क्षेत्र में तेंदुए पर नजर रखने कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों में तेंदुआ कैद हुआ है, ऐसी जानकारी गांववासियों ने दी है।
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इसके चलते स्थानीय जनता की मांग है कि इस तेंदुए को जंगल के क्षेत्र से पकड़कर कहीं और स्थानांतरित किया जाए। साथ ही जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें वन विभाग से तत्काल मुआवजा दिया जाए, ऐसी भी मांग उठ रही है।
इस बारे में जब जऊरवाडा के किसान वसंत येरपुडे ने बताया कि, हमारे क्षेत्र में पिछले दो महीनों से तेंदुए और बाघ का आतंक है। हम जान जोखिम में डालकर खेती कर रहे हैं। खेत में कोई किसान अकेले जाने को तैयार नहीं है, मजदूर भी डर के कारण खेतों में काम करने नहीं आ रहे।
अब सोयाबीन की फसल तैयार हो गई है, लेकिन किसान सोच में पड़ गए हैं कि इसे कैसे काटें? साथ ही जल्द ही कपास की फसल भी तैयार होगी और उसकी चुनाई के समय काम कैसे किया जाए, यह बहुत बड़ी चिंता बन गई है।