संजय राउत (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: संसद में पेश हुए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस विधेयक के प्रावधानों के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की गंभीर अपराध में गिरफ्तारी होने पर उन्हें पद से हटाया जा सकेगा। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार (20 अगस्त) को यह बिल पेश किया। इसके बाद विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया।
इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि इस बिल से सबसे ज्यादा नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू चिंतित हैं। राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा– “मोदी-शाह ने संसद में सीएम और मंत्रियों को गिरफ्तार कर हटाने का बिल पेश किया। खबर है कि नायडू और नीतीश सबसे ज्यादा डरे हुए हैं। केंद्र सरकार को डर है कि वे समर्थन वापस ले सकते हैं।”
विधेयक के अनुसार, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होते हैं और 30 दिनों के भीतर इस्तीफा नहीं देते, तो स्वतः ही उनका पद समाप्त माना जाएगा। यह प्रावधान भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है और अगली संसद सत्र में समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
संजय राउत ने केवल बिल ही नहीं बल्कि उप-राष्ट्रपति चुनाव पर भी एनडीए की रणनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि एनडीए के नेताओं को बहुमत पर भरोसा नहीं है, इसलिए वे विपक्षी सांसदों से समर्थन मांग रहे हैं। उप-राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी से होगा।
Modi-Shah introduce a bill in Parliament to arrest and sack CMs and ministers. Naidu and Nitish are reportedly most fearful. Modi govt worries they might withdraw support! pic.twitter.com/ePggQ5oXtU
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) August 20, 2025
राउत ने आरोप लगाया कि एनडीए को उम्मीदवार चुनने से पहले विपक्ष से परामर्श करना चाहिए था। उन्होंने राधाकृष्णन के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि जब वे झारखंड के राज्यपाल थे, तब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजभवन के अंदर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। उस वक्त राधाकृष्णन ने संवैधानिक मर्यादा का पालन नहीं किया और न ही ईडी को रोका।
संजय राउत के इन बयानों से सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल इस बिल को सत्ता के दुरुपयोग से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन का दावा है कि यह विधेयक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है। अब सबकी निगाहें संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट और उप-राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं।