वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम
Mumbai Train Blast Verdict: मुंबई ट्रेन बम विस्फोट के आरोपियों को बरी किए जाने पर वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन सबूतों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? आज आरोपियों को बरी किया जाना गंभीर है। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।
उज्ज्वल निकम ने कहा कि साल 2006 का हमला एक भयानक आतंकवादी कृत्य था। जिस तरह 12 मार्च, 1993 को आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था, उसी तरह 2006 के विस्फोट में भी आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। सबूतों से ऐसा लगता है कि आरोपी को मुंबई सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए कबूलनामे के आधार पर दोषी ठहराया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस सबूत पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अदालत के फैसले का गहन अध्ययन करने के बाद इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में स्थगन याचिका दायर की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बम विस्फोट में कई निर्दोष लोग मारे गए थे और आरोपी को इस तरह बरी कर दिया गया। मामले में सबूतों पर अदालत का अविश्वास बेहद गंभीर है। सरकार को भी इस फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए।
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अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन सबूतों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? अगर कानून का विश्लेषण करते समय कोई गलती हुई या मशीन ने गलत सबूत इकट्ठा किए, तो यह गंभीर बात है। मुझे यकीन है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।
इस मामले पर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि आज मैंने 2006 के पीड़ितों के संबंध में महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल से मुलाकात की। कुछ पीड़ित मेरे साथ मौजूद थे, अन्य नहीं आ सके, इसलिए मैंने उनकी भावनाओं से उन्हें अवगत कराया। चहल ने हमें बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला किया है।
शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है और हम इसे स्वीकार नहीं करते। जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में विस्फोट हुए, जिसमें लगभग 180 मुंबईकरों की जान गई, तो यह निस्संदेह एक बड़ी साजिश का नतीजा था। किसी ने इस बम विस्फोट की योजना बनाई थी। हमारी जांच एजेंसियों ने लोगों को गिरफ्तार किया, उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए और निचली अदालत ने उन्हें मृत्युदंड सहित कई सजाएं भी सुनाईं। अगर अब हाईकोर्ट कहता है कि उनमें से कोई भी जिम्मेदार नहीं है, तो सवाल उठता है कि उन ट्रेनों में विस्फोट किसने किए?
(News Source- आईएएनएस)