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मुंबई : देशभर में प्रकाश पर्व दीपावली की तैयारियां पूरे उत्साह और उमंग के साथ जारी हैं। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाए जाने का विधान है। एक तरफ मुंबई समेत पूरे देश के लोग दिवाली की तैयारियों में व्यस्त हैं, वहीं दूसरी ओर महापर्व की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस भी है। इस बार दिवाली की तिथि को लेकर ज्योतिषियों की राय अलग-अलग है।
कुछ ज्योतिषियों के अनुसार दिवाली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए, जबकि कुछ का मानना है कि पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना चाहिए। ज्योतिषियों के एकमत नहीं होने से कई घरों में दोनों दिन लक्ष्मी पूजन की तैयारियां चल रही हैं। वहीं, मुंबादेवी और महालक्ष्मी मंदिर में दिवाली और चोपड़ा पूजन 1 नवंबर को ही मनाया जाएगा, जिससे लोग भ्रमित हैं।
आचार्य अशीष कुमार तिवारी ने बताया कि दिवाली कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है, जो 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे से शुरू होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन संध्या काल में किया जाता है। 1 नवंबर को अमावस्या शाम 6.17 बजे तक ही है, इसलिए इसके बाद लक्ष्मी पूजन नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना शुभ है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग उदयातिथि के दिन 1 नवंबर को दिवाली मनाने की तैयारी कर रहे है।
ज्योतिषाचार्य अरविंद्र द्विवेदी के अनुसार प्रदोष व्यापिनी अमावस्या होने से 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है। दिवाली की तिथि पर असमंजस दूर करने के लिए शास्त्रों में स्पष्ट बताया गया है। इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर 3.54 बजे शुरू होकर अगले दिन 1 नवंबर की शाम 6.17 बजे समाप्त होगा। ऐसे में अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोष काल में है। धर्म शास्त्रों में साफ कहा गया है कि यदि दो दिन अमावस्या प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन वाली अमावस्या में ही दिवाली मनाया जाना शास्त्र के मुताबिक सही है। 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के पीछे का तर्क पितृ कार्य भी है। पितृ देव का पूजन करने के बाद ही लक्ष्मी पूजन करना उचित है।
वहीं, ज्योतिषाचार्य डॉ. बालकृष्ण मिश्र ने कहा कि धर्म सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि, तिथि निर्णयन और व्रत विवेक पर्व आदि ग्रंथों के मुताबिक दो दिन प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति कम या अधिक होने पर दूसरे दिन अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है। अमावस्या और प्रतिपदा युक्त अमावस्या होने पर इसी दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। इसीलिए 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।
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मुंबई में कुछ स्थानों पर बुधवार को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया गया। वहीं, कुछ जगहों पर उदयातिथि को लेकर 31 अक्टूबर को भी नरक चतुर्दशी मनाई जा रही है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है और इसे हम रूप चौदस भी कहते हैं। पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे प्रारंभ हुई जो 31 अक्टूबर को देर रात 02.35 बजे समाप्त होगी। ऐसे में नरक चतुर्दशी पर्व 31 अक्टूबर को उदयातिथि में कुछ लोग मना रहे हैं। इस दिन मां कालिका, श्री कृष्ण और यमराज की पूजा करने का विधान है।
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लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 06.45 से 08.30 तक
अवधि – 01 घंटे 45 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05.48 से 08.21
वृषभ काल – शाम 06.35 से 08.33
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05.36 से 06.02 तक
संध्या पूजा- शाम 05.36 से 06.54 तक
निशिथ काल पूजा-रात्रि 11.39 से 12.31 तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 05.36 से 06.16
अवधि – 41 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05.36 से 08.11
वृषभ काल – शाम 06.20 से 08.15
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 31 अक्टूबर शाम 03.52 से
अमावस्या तिथि समाप्त – 01 नवंबर शाम 06.16 तक
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 06.33 से 10.42 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12.04 से 01.27 तक
अपराह्न मुहूर्त (चर) – 04.13 से 05.36 तक