ठाणे जिला परिषद (pic credit; social media)
Thane Zilla Parishad President Post: राज्य में बहुप्रतीक्षित जिला परिषद चुनावों का माहौल गरमा गया है। राज्य चुनाव आयोग ने जिला परिषद अध्यक्ष पद के आरक्षण की घोषणा कर दी है, जिससे जिले की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बार भी ठाणे जिला परिषद अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। इसका मतलब साफ है कि जिले की सत्ता की बागडोर फिर महिला नेता के हाथों में होगी।
कानूनी पेचिदगियों और कार्यवाही के चलते लंबे समय से टलते आ रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव अब आखिरकार होने जा रहे हैं। राज्य चुनाव आयोग ने पहले ही जिला परिषद और पांच पंचायत समितियों के वार्डों की अंतिम संरचना घोषित कर दी थी। अब अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की घोषणा के बाद चुनावी बिगुल पूरी तरह बज चुका है।
ठाणे जिला परिषद के इतिहास पर नजर डालें तो 2014 में जिला परिषद के विभाजन के बाद यहां पहली बार 2017 में आम चुनाव हुए थे। उस दौरान भी अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहा था। अब एक बार फिर महिलाओं को यह अवसर मिलने जा रहा है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस फैसले से ठाणे जिले की राजनीति में महिला नेताओं की भूमिका और मजबूत होगी। विभिन्न दलों की महिला नेता अब चुनावी तैयारी में जुट गई हैं। इससे जिले में महिला सशक्तिकरण को भी नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
सिर्फ जिला परिषद ही नहीं, बल्कि पंचायत समिति अध्यक्ष पदों के लिए भी आरक्षण घोषित किया गया है। इसमें अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए पद सुरक्षित किए गए हैं। यह कदम स्थानीय राजनीति में संतुलन और विविधता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
वर्तमान में ठाणे जिला परिषद प्रशासकीय शासन के अधीन है। 2022 में कार्यकाल खत्म होने के बाद से चुनाव का इंतजार हो रहा था। अब जब आरक्षण की घोषणा हो गई है, तो राजनीतिक दलों में उम्मीदवार चयन की कवायद शुरू हो गई है। ऐसे में जिले की जनता की निगाहें इस बार होने वाले चुनाव पर टिकी हुई हैं।