
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Thane Murder Case: ठाणे की एक अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी कड़ी पेश करने में अभियोजन पक्ष की विफलता के चलते सौतेली मां की हत्या के आरोपी को बरी कर दिया है। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस. बी. अग्रवाल ने शाहनवाज यूनुस अंसारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत लगाए गए हत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए आवश्यक कानूनी मानकों को पूरा नहीं कर सका।
अभियोजन के अनुसार, यह घटना 28 और 29 मई 2020 की दरम्यानी रात की है। आरोप था कि शाहनवाज अंसारी ने साकेत-कलवा पुल के पास अपनी सौतेली मां रेशमा खातून की हत्या कर दी थी। अभियोजन पक्ष ने हत्या का कारण पारिवारिक विवाद बताया। उसके अनुसार, रेशमा खातून कथित तौर पर आरोपी और उसके भाई-बहनों को परेशान करती थीं और 90 हजार रुपये का कर्ज वापस नहीं कर रही थीं, जिससे आरोपी ने यह कदम उठाया।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों में कई अहम कमियां और आपसी विरोधाभास पाए। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के मामलों में घटनाओं की एक ऐसी मजबूत श्रृंखला होनी चाहिए, जो सीधे आरोपी की ओर इशारा करे। इस मामले में ऐसी कोई ठोस कड़ी सामने नहीं लाई जा सकी।
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अदालत ने अभियोजन द्वारा पेश किए गए सीसीटीवी सबूतों को भी खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान सीसीटीवी फुटेज की पुष्टि करने वाले टेक्नीशियन ने स्वीकार किया कि उसने केवल पुलिस द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे और फुटेज का स्वतंत्र रूप से सत्यापन नहीं किया था। इसे अदालत ने एक गंभीर चूक माना।
अदालत ने मृतका के भाई की गवाही को भी अविश्वसनीय करार दिया। इसके अलावा, पांच गवाहों ने या तो अस्पष्ट बयान दिए या यह स्वीकार किया कि उन्होंने पुलिस थाने में केवल कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। इन गवाहियों से अभियोजन का पक्ष और कमजोर हो गया।
अंततः अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर दोषसिद्धि के लिए आवश्यक कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया। इसी आधार पर शाहनवाज यूनुस अंसारी को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया।






