वन मंत्री गणेश नाईक, नरेश मस्के (pic credit; social media)
Controversy over 14 villages in Navi Mumbai: 14 गांवों को नवी मुंबई महापालिका में शामिल करने के विवाद ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। शिंदे और नाईक समर्थकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। इस मुद्दे पर नाईक समर्थकों ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया।
पूर्व नगरसेवक सूरज पाटिल ने कहा कि यदि ये गांव नवी मुंबई पर थोपे गए, तो शहर की सुविधाओं पर भारी दबाव आएगा और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि वन मंत्री गणेश नाईक कुछ सोच-समझकर विरोध कर रहे हैं।
सूरज पाटिल ने महस्के द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नवी मुंबई के विकास में योगदान देने वाले ही विकास विरोधी नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि जिन लोगों ने शहर को लूटा, उन्हें चोर कहना गलत नहीं है।
पाटिल ने 2014 में महापालिका द्वारा पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए बताया कि तब 500 करोड़ रुपये के भूमिगत मार्ग की मांग थी, जो पूरी नहीं हुई। अब इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कम से कम 6600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
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उन्होंने कोरोना संकट के समय नवी मुंबई के ऑक्सीजन, इंजेक्शन और पानी की चोरी की भी बात उठाई। बारवीं डेम परियोजना के तहत नवी मुंबई को 80 एमएलडी पानी मिलना चाहिए था, लेकिन वर्तमान में केवल 40 एमएलडी ही उपलब्ध हो रहा है। पाटिल ने कहा कि प्रकल्पग्रस्त युवाओं को स्थायी नौकरी मिलनी चाहिए थी, लेकिन वे वर्षों से ठेका पद्धति पर काम कर रहे हैं।
सूरज पाटिल ने नाईक के विकास कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि पिछले 40 वर्षों में नवी मुंबई का विकास ऊंचाई पर पहुंचा है। उनका कहना था कि आरोप लगाने वाले वही लोग हैं जिन्होंने शहर का धन हड़प लिया। संवाददाता सम्मेलन में समर्थकों ने स्पष्ट किया कि वन मंत्री नाईक पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और राजनीतिक चालबाज़ी के अलावा कुछ नहीं।
इस विवाद के बीच 14 गांवों के शामिल होने से नवी मुंबई के बजट और मूलभूत सुविधाओं पर पड़ने वाले असर को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा जारी है।