जितेंद्र आव्हाड (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Thane News In Hindi: कल्याण से ट्रांस हार्बर रेलवे मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्री ठाणे स्टेशन आए बिना सीधे नवी मुंबई पहुंच सकें। इसके लिए अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के तहत ऐरोली से कलवा कॉरिडोर का प्रस्ताव तैयार किया गया है। लेकिन इस कॉरिडोर की राह मे झोपड़े रोड़ा बन रहे हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार के राष्ट्रीय महासचिव एवं स्थानीय विधायक डॉ जितेंद्र आव्हाड ने स्पष्ट कहा है कि जबतक भोला नगर एवं छत्रपति शिवाजी महाराज नगर के बाधित झोपड़ों के पुनर्वसन को लेकर करार पत्र पर हस्ताक्षर नहीं हो जाता है तब तक सर्वे का काम शुरू नहीं होने देंगे।
ठाणे में बुधवार को आयोजित पत्रकार परिषद में पूर्व गृह निर्माण मंत्री आव्हाड ने कहा कि हमें इस कॉरिडोर पर कोई एतराज नहीं है। इस कॉरिडोर के लिए भोला नगर व छत्रपति शिवाजी महाराज नगर के 786 झोपड़े प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे, लेकिन यहां की झोपड़ पट्टियों में रहने वाले सभी लोगों को परेशानी होगी।
उन्होने कहा कि इस इलाके से तीन रेलवे लाइने गुजरेंगी। इससे हजारों झोपड़ों में रहने वालों को हर तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए यहां के सभी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों का एक साथ रिहैबिलिटेशन किया जाना चाहिए, इसके लिए पहले एग्रीमेंट साइन किया जाना जरूरी है। उसके बाद ही हम इस इलाके में सर्वे और दूसरे काम होने देंगे।
विधायक आव्हाड ने बताया कि मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट फेज 3 के ऐरोली-कलवा कॉरिडोर (3।00 किमी) के काम से प्रभावित भोलानगर व शिवाजीनगर के झोपड़ों के पुनर्वास को लेकर मनपा आयुक्त ने पत्र भेजा है।
डॉ जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि हमने 2017 से इस एलिवेटेड रेलवे कॉरिडोर का काम रोक दिया था। इस काम को रोकने के पीछे मुख्य कारण यहां साढ़े 3 हजार झोपड़ों में रहने वालों का पुनर्वास है। क्योंकि, इस जगह पर रहने वाले ज्यादातर लोग मेहनत-मजदूरी करने वाले हैं।
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इन झोपड़ियों में रहने वाली महिलाएं बर्तन धोकर अपना गुजर-बसर करती हैं। इसलिए, अगर उन्हें कहीं और बसाया गया, तो इनके समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। हम इन लोगों को किसी भी तरह से उजड़ने नहीं देंगे, आव्हाड ने कहा कि इस बारे में हमारी मुख्यमंत्री से बात हुई थी। मुख्यमंत्री ने झोपड़ा मालिकों को फिर से बसाने का वादा किया था। लेकिन, हम इस तरह से दूसरी जगह बसाने के खिलाफ हैं।