कागज से बनी इको फ्रेंडली मूर्ति (pic credit; social media)
Maharashtra News: पनवेल तालुका के नितालास गांव में पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव की मिसाल कायम हो रही है। पिछले तीन वर्षों से यहां कागज की लुगदी से गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं, जो न केवल धार्मिक उत्सव को भव्य बनाती हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती हैं। इस वर्ष मूर्तिकार पवार पिता-पुत्र की जोड़ी ने 8 से 10 फीट ऊंची आकर्षक कागज की गणेश प्रतिमाएं तैयार की हैं।
मुंबई के जे.जे. कॉलेज ऑफ आर्ट्स के डीन मोरेश्वर पवार गुरुजी, पनवेल में सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाने वाले समूहों के लिए पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों के निर्माता बन गए हैं। सेवानिवृत्ति के बाद पवार गुरुजी पिछले 18 वर्षों से कागज की मूर्तियां बना रहे हैं, और उनके पुत्र प्रतीक पवार, जिन्होंने उसी कॉलेज से मूर्तिकला की शिक्षा प्राप्त की है, अब अपने पिता की परंपरा में आधुनिकता का समावेश कर रहे हैं। पवार परिवार की यह सातवीं पीढ़ी मूर्तिकला में कार्यरत है।
कागज के एक गणपति बनाने में लगभग 15 दिन लगते हैं। इस साल, नितालास गांव स्थित उनके कारखाने से 8 से 10 फीट ऊंची चार भव्य मूर्तियां बन चुकी हैं। इन मूर्तियों को न्यू दौलत मित्र मंडल, सीवुड स्थित केंद्रीय विहार गणेश उत्सव मंडल, सानपाड़ा स्थित सोनखार का राजा नखवा सीताराम भगत सांस्कृतिक मंडल और पनवेल शहर के तपल नाका स्थित श्री गणेश मंडल जैसी सार्वजनिक संस्थाओं ने अपने उत्सवों में उपयोग के लिए खरीदा।
प्रतिमाओं में चूहे और मोर सहित पारंपरिक वाहन बनाकर उन्हें आकर्षक रूप दिया गया है। मूर्तियों के निर्माण और उनकी भव्यता को देखने के लिए स्थानीय लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। प्रतीक पवार का कहना है कि कागज की लुगदी से बनी इन प्रतिमाओं की मांग पिछले दो वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक उत्सवों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और लोग स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।