राष्ट्रीय ऊर्जा पुरस्कार से नवाजी गई आभा शुक्ला और महावितरण, बिजली क्षेत्र में हो रहा बड़ा बदलाव
Thane News: सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण विद्युत क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य की अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला को गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय ऊर्जा नेतृत्व शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत श्रेणी में वर्ष 2025 के लिए ‘ऊर्जा में महिला पुरस्कार’ और कंपनी श्रेणी में महावितरण को ‘ऊर्जा कंपनी (विद्युत) पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस और ऊर्जा राज्य मंत्री मेघना साकोरे-बोर्डिकर ने इस सम्मान के लिए अपर मुख्य सचिव आभा शुक्ला के साथ-साथ महावितरण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक लोकेश चंद्रा और सभी इंजीनियरों, अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक और सेवानिवृत्त केंद्रीय ऊर्जा सचिव अनिल राजदान ने अतिरिक्त मुख्य सचिव आभा शुक्ला को यह पुरस्कार प्रदान किया। इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा आयोजित दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन 2025 में ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, खनन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों से लगभग 500 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव आभा शुक्ला ने महाराष्ट्र में बिजली क्षेत्र पर एक प्रस्तुति के साथ-साथ एक विशेष व्याख्यान भी दिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऊर्जा परिवर्तन के माध्यम से राज्य में आमूल-चूल सुधारों को गति दी है जो सभी बिजली उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी हैं। इसके कारण, पहली बार बिजली की कीमतों में कमी आई है और अगले पांच वर्षों में ये और कम होंगी। दुनिया की सबसे बड़ी 16 हज़ार मेगावाट की विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजना, मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0, 65 हज़ार करोड़ रुपए के निवेश से 70 हज़ार ग्रामीण रोजगार पैदा कर रही है। इस योजना के कारण महावितरण द्वारा बिजली खरीद में 10 हज़ार करोड़ रुपए की वार्षिक बचत के साथ-साथ क्रॉस सब्सिडी का वार्षिक बोझ 13 हज़ार 500 करोड़ रुपए कम हो जाएगा।
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इससे मुख्य रूप से औद्योगिक और वाणिज्यिक बिजली की कीमतें सस्ती हो जाएगी। इस योजना के तहत अब तक 2458 मेगावाट क्षमता वाली 454 परियोजनाए पूरी हो चुकी हैं और 6 लाख से ज़्यादा किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराई गई है, जबकि 32 लाख एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई सौर ऊर्जा से की जा रही है।