सुप्रीम कोर्ट, फोटो- सोशल मीडिया
Supreme Court News: उच्चतम न्यायालय ने दक्षिण मुंबई में ऐतिहासिक ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर नए यात्री जेटी और टर्मिनल के निर्माण को मंजूरी देने वाले मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिससे इस परियोजनाओं पर काम जारी रहेगा।
उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई को गेटवे ऑफ इंडिया के निकट महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा प्रस्तावित 229 करोड़ रुपये की लागत वाली यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधा के निर्माण को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ लॉरा डी सूजा द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है। समुद्र में लगभग 1.5 एकड़ में फैली यह परियोजना गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर की दूरी पर होगी, जो दक्षिण मुंबई में रेडियो क्लब के पास स्थित है।
याचिका के अनुसार, परियोजना योजना में 150 कारों की पार्किंग, वीआईपी लाउंज/प्रतीक्षा क्षेत्र, एम्फीथिएटर और टिकट काउंटर/प्रशासनिक क्षेत्र के साथ-साथ समुद्र में खंभों पर एक विशाल टेनिस रैकेट के आकार का जेटी बनाना शामिल है। ऐसा आरोप है कि इस परियोजना से स्थानीय लोगों को असुविधा होगी क्योंकि वाहनों की भीड़ की समस्या पर विचार नहीं किया गया है।
यह भी पढ़ें:- वन भूमि पर हक की लड़ाई तेज! मंत्री मुनगंटीवार बोले- जल्द मिलेगा पट्टा
गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई का एक ऐतिहासिक स्मारक है, जिसे 20वीं सदी की शुरुआत में बनाया गया था। इसका निर्माण 1911 में भारत आने वाले ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के स्वागत के लिए किया गया था। यह स्मारक अपोलो बंदर पर अरब सागर के किनारे स्थित है और इंडो-सरसेनिक शैली में निर्मित है। यह न केवल मुंबई की पहचान है, बल्कि पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी है। 1948 में अंतिम ब्रिटिश टुकड़ी ने यहीं से भारत छोड़ा था, जिससे यह भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक भी बन गया। (एजेंसी इनपुट के साथ)