सांसद भास्कर भगरे ने मंत्री शिवराज चौहान से की मुलाकात
Farmers sought help from Shivraj Chauhan: नासिक जिले में मई से जुलाई तक हुए तूफानी बारिश और लगातार जारी बरसात के कारण खेती को भारी नुकसान हुआ है। इस संबंध में सांसद भास्कर भगरे ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि केंद्र सरकार नासिक जिले में एक विशेष केंद्रीय दल भेजकर हुए नुकसान का मूल्यांकन करे और प्रभावित किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करे।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस नुकसान को शामिल कर किसानों को बीमा मुआवजा दिया जाए और जिले में उर्वरकों की लिंकिंग (अनिवार्य खरीद) को बंद किया जाए।
नासिक में मई में हुई तूफानी बारिश के साथ-साथ जून-जुलाई के दौरान लगातार बारिश, तूफान और तेज हवाओं के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसमें मुख्य रूप से अंगूर, प्याज, अनार, पपीता, केला, अमरूद, ज्वार, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, नागली, उड़द, मूंग और मूंगफली की फसलों को बहुत नुकसान हुआ है।
बेमौसम बारिश के साथ-साथ मानसून के जल्दी आगमन के कारण खरीफ के लिए खेतों की जुताई अधूरी रह गई, जिससे मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, उड़द और मूंग की बुवाई देर से हुई है। कुछ इलाकों में नागली, वरई और धान के पौधे बह गए। साथ ही, छोटे किसानों की फसलें, विशेष रूप से फल और सब्जियां, सड़ने के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। मूसलाधार और बेमौसम बारिश से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। सांसद भास्कर भगरे ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि मध्यम और छोटे किसान पूरी तरह से कर्ज में डूब गए हैं.
भगरे ने मांग की है कि केंद्र सरकार द्वारा जिले में एक विशेष केंद्रीय सर्वेक्षण दल भेजा जाए, आपदा से हुए नुकसान का मूल्यांकन कर प्रभावित किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस नुकसान को शामिल कर किसानों को जल्द से जल्द बीमा मुआवजा मिले.
दिंडोरी लोकसभा क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों का प्रचुर स्टॉक होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यूरिया और डीएपी जैसे उर्वरक केवल लिंकिंग के बाद ही बेचे जाते हैं। कंपनियों से दस टन यूरिया डीएपी खरीदने के लिए दुकानदारों को 50 से 60 हजार रुपये का अन्य माल खरीदना पड़ता है। इसके बदले में दुकानदारों को यह खरीदा हुआ माल किसानों को बेचना पड़ता है। उर्वरकों की कीमतें बढ़ गई हैं और अनावश्यक उर्वरकों की खरीद भी की जा रही है। लगातार बारिश के कारण किसान पहले से ही आर्थिक संकट में हैं। लेकिन भगरे ने उर्वरक उत्पादक कंपनियों को निर्देश देकर लिंकिंग बंद करने की भी मांग की है।