इंदापुर में संत तुकाराम महाराज पालकी यात्रा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
सोलापुर: रविवार को महाराष्ट्र में आषाढ़ी वारी की 2 ऐतिहासिक यात्राओं ने पूरे माहौल को भक्तिमय रंगों से भर दिया। पुणे जिले के इंदापुर में संत तुकाराम महाराज की पालकी यात्रा का भव्य स्वागत हुआ, वहीं सोलापुर में संत गजानन महाराज की पालकी ने 550 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रवेश किया। इंदापुर में रविवार सुबह से ही ढोल-ताशों, मंजीरों और शहनाई की धुनों के बीच संत तुकाराम महाराज की पालकी का स्वागत हुआ।
नगर की सड़कों पर फूलों की वर्षा और रंगोली से सजा हर मोड़ भक्तों से खचाखच भरा रहा। खास आकर्षण रहा ‘रिंगण उत्सव’ जिसमें पालकी के साथ चलने वाले घोड़े की कलाबाजियों ने हजारों श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वारकरी संप्रदाय के अनुशासन और भक्ति भाव का अद्भुत नजारा रहा। महिलाएं सिर पर तुलसी के पौधे लेकर पालकी के साथ चलती दिखीं, पुरुष भक्त अभंग गाते और मंजीरे बजाते हुए आगे बढ़ते रहे। प्रशासन ने भी यातायात और भीड़ प्रबंधन के लिए बेहतरीन इंतजाम किए। यह यात्रा पंढरपुर की ओर बढ़ रही है जहां आषाढ़ी एकादशी पर विठ्ठल मंदिर में शाही दर्शन होंगे।
उधर, संत गजानन महाराज की पालकी यात्रा ने भी रविवार को सोलापुर में ऐतिहासिक प्रवेश किया। यह यात्रा 2 जून को शेगांव से शुरू हुई थी और 26 दिन में 550 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा पार करके शनिवार शाम सोलापुर जिले में दाखिल हुई। रविवार सुबह यह सोलापुर शहर में पहुंची। करीब 700 वारकरी इस यात्रा में शामिल रहे। पूरे मार्ग पर टाल-मृदंग, भजनों और “गजानन महाराज की जय” के जयघोष ने वातावरण को भक्तिमय बनाए रखा। सोलापुर के उले गांव में ग्रामीणों ने शनिवार को श्रद्धा के साथ स्वागत किया था, और रविवार को शहर में भी पालकी का जोरदार अभिनंदन किया गया। स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और हजारों भक्त पालकी के स्वागत के लिए जुटे।
मनोज जरांगे का 29 अगस्त को मंत्रालय पर धावा, फिर उठेगी मराठा आरक्षण की मांग
दोनों ही पालकी यात्राओं ने एक बार फिर महाराष्ट्र की वारकरी परंपरा और श्रद्धा को जीवंत कर दिया। पंढरपुर की ओर बढ़ती इन यात्राओं में श्रद्धालु विठ्ठल दर्शन की आकांक्षा लिए कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। पूरे महाराष्ट्र में रविवार का दिन इन यात्राओं के कारण आस्था और भक्ति में रंगा रहा। पुणे से लेकर सोलापुर तक सड़कें श्रद्धालुओं की आवाजाही और भजनों से गूंजती रहीं। प्रशासन ने भी पानी, भोजन, चिकित्सा और यातायात के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की थी।
अब दोनों पालकियां पंढरपुर की ओर बढ़ रही हैं, जहां 19 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी के दिन विशाल विठ्ठल दर्शन का पर्व होगा। श्रद्धालुओं के कदमों की यह आहट भक्तिरस और एकता की मिसाल बनकर पूरे महाराष्ट्र में गूंज रही है।