शपथ ग्रहण समाराेह में मौजूद विधानसभा परिषद के सदस्य (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के लोकतंत्र के जिस महापर्व का राज्य के सियासी लोगों के साथ-साथ जनता भी बेसब्री इंतजार कर रही थी, उस विधानसभा चुनाव का बिगुल मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने बजा दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने नई दिल्ली में महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी कार्यक्रम घोषित किया, इसी के साथ महाराष्ट्र में चुनावी आचार संहिता लागू हो गई है। लेकिन इससे पहले महायुति के 7 नेताओं की लॉटरी लग गई।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सोमवार को भेजी गई 7 नामों वाली सूची को राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने राज्यपाल मनोनीत विधायक के तौर पर मंजूरी दे दी और मंगलवार को विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे की उपस्थिति में इन सात नेताओं का विधान परिषद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण भी संपन्न करा दिया गया।
विधान परिषद की राज्यपाल मनोनीत 12 विधायकों को लेकर लंबे समय से चल रहा गतिरोध मंगलवार को आंशिक तौर पर समाप्त हो गया। सोमवार को राज्य की महायुति सरकार ने कैबिनेट बैठक के बाद 7 नामों की एक सूची राज्यपाल को भेजी थी।
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बीजेपी के तीन और शिवसेना (शिंदे गुट) के दो और एनसीपी (अजित पवार) के दो सदस्यों के नाम वाली सूची को राज्यपाल ने अपनी मंजूरी दे दी। मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले विधानभवन में विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोर्हे की मौजूदगी में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में इन 7 विधायकों को शपथ दिलाई गई।
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी सरकार ने अपने 12 नाम तत्कालीन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को भेजे थे लेकिन कोश्यारी ने उस फाइल पर निर्णय नहीं लिया। यह मामला कोर्ट भी पहुंचा लेकिन फैसला नहीं हो पाया। बाद में शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के कारण हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आई मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने पूर्ववर्ती महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा भेजी गई सूची वापस मंगा ली थी।
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अब महायुति सरकार ने सोमवार को 7 नए नाम राज्यपाल को भेजे, जिसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी। याचिकाकर्ता सुनील मोदी ने इस पर कहा है कि सरकार संविधान और अदालतों का सम्मान नहीं करती, यह एक बार फिर साबित हो गया, दो साल पहले मैं राज्यपाल द्वारा नियुक्त 12 विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गया था। फिर हाईकोर्ट आये। हाई कोर्ट में हमारी याचिका पर बहस पूरी हो गई है।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस याचिका को फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया। फैसले के रिजर्व होने के बाद ऐसे फैसले नहीं लिए जा सकते। यदि कोर्ट इन सबके खिलाफ फैसला देता है तो क्या ये सात लोग विधायक बन सकते हैं? सरकार द्वारा 48 घंटे में यह सब करना असंवैधानिक है। आने वाले चुनाव में जनता उन्हें सबक सिखाएगी। हम इस संबंध में हाई कोर्ट में रेफरेंस दाखिल करने जा रहे हैं।