कार्तिकी एकादशी पर 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था (सौ.डिजाइन फोटो)
पंढरपुर। इन दिनों कार्तिक मास चल रहा है यहां पर आषाढी वारी के बाद भक्तों को कार्तिकी एकादशी का बेसब्री से इंतजार होता है। यहां पर हाल ही में कार्तिकी यात्रा के लिए पंढरपुर आने वाले भक्तों को दर्शन देने के लिए भगवान विट्ठल अब 24 घंटे खड़े रहेंगे। इसे लेकर हाल ही में कहा गया था 4 से 20 नवंबर तक भक्तों को भगवान के दर्शन करने का मौका 24 घंटे होंगे। बताते चलें कि, भगवान की चांदी की विश्राम शय्या (पलंग) का विधिवत पूजन किया गया। श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर समिति के प्रबंधक मनोज श्रोत्री ने बताया कि विट्ठल की पीठ और रुक्मिणी माता की पीठ पर मुलायम रुई का तकिया लगाया गया. केवल नित्य पूजा, नैवेद्य, पोशाक और नींबू पानी की रस्में छोड़कर लगभग 22 घंटे 15 मिनट तक भगवान का दर्शन भक्तों को उपलब्ध होगा।
आपको बताते चलें कि, 12 नवंबर को कार्तिकी एकादशी है जहां पर इस कार्तिकी एकादशी के अवसर पर लाखों भक्त यहां भगवान के दर्शन करने आते है। इस दौरान पंढरपुर में एक बार फिर भक्तों का तांता इस तिथि पर लगने वाला है। यहां पर एकादशी के अवसर पर भक्त श्री के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेने पहुंचते है। बता दें कि वारकरी संप्रदाय की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। इस परंपरा के अनुसार, भक्तों के दर्शन की सुविधा के लिए भगवान आषाढ़ी और कार्तिकी वार के बीच 24 घंटे खड़े रहते हैं, इस दौरान भगवान के घर से आराम का बिस्तर हटा दिया जाता है।
आपको इस कार्तिकी एकादशी की बात करें तो, परंपरा के अनुसार बिस्तर को हटाने से पहले विधिवत पूजा की जाती है, इसके बाद भगवान के दूसरे कमरे का बिस्तर हटा दिया गया। इसी समय इस चांदी के पलंग पर लगे भगवान के गद्दे भी निकाल लिये गये, परमेश्वर का घर पूरी तरह खाली कर दिया गया। इस दौरान भगवान के सभी आरामदायक चीज़ों को हटा दिया जाता है और विट्ठल केवल भक्तों के दर्शन के लिए तैयार रहते हैं।24 घंटे भगवान के दर्शन खुलने से अब रोजाना 50,000 पैदल और 50,000 से 60,000 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
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यहां पर शेड्यूल के अनुसार, सुबह 4:30 बजे स्नान और भगवान की नित्य पूजा की जाएगी. इस दौरान सिर्फ एक घंटे के लिए दर्शन बंद रहेंगे. मंदिर समिति के कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेलके ने जानकारी दी है कि दोपहर में 15 मिनट और रात 9 बजे नींबू पानी देने के लिए 15 मिनट के लिए दर्शन रोक दिए जाएंगे। इसके अलावा विथुरैया पूरे दिन-रात खड़े रहकर अपने प्रिय भक्तों को दर्शन देंगे।
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यहां पर बताते चलें कि,आषाढी वारी के बाद भक्तों को कार्तिकी एकादशी का बेसब्री से इंतजार होता है, इसमें ही इस कार्तिकी उत्सव में शामिल होने वाले लाखों भक्तों के लिए के लिए भगवान के 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था शुरू की गयी है। आषाढ़ी और कार्तिकी यात्राओं में राज्यभर से लाखों भक्त विठ्ठल भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, इन यात्राओं के दौरान अधिक से अधिक भक्तों को दर्शन का लाभ देने के लिए आज से देव 24 घंटे दर्शन के लिए उपलब्ध रहेंगे. दरअसल आषाढ़ी और कार्तिकी यात्रा के समय देव की निद्रा बंद होती है, इस परंपरा के अनुसार भगवान का पलंग निकाल लिया गया है।
श्री विठ्ठल-रुक्मिणी माता को महाप्रसाद समर्पित करने के लिए भक्तगण दान देकर महाप्रसाद सहभाग योजना में हिस्सा ले सकते हैं. इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए पंढरपुर विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति के कार्यालय में संपर्क करने का आग्रह किया गया है. साथ ही, आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए मंदिर समिति द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं।