शरद पवार और अजित पवार, फोटो- सोशल मीडिया
Maharashtra Municipal Elections: महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव से ठीक पहले एक बड़ी सियासी हलचल हुई है। मुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP(SP) के साथ पिंपरी-चिंचवड महापालिका चुनाव के लिए हाथ मिला लिया है। दो साल पहले पार्टी में हुए विभाजन के बाद यह पहला मौका है जब दोनों गुट एक साथ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।
अजित पवार और चाचा शरद पवार के साथ आने के बाद पिंपरी-चिंचवड में अब भाजपा बनाम राष्ट्रवादी का सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। हाल ही में अजित पवार के आक्रामक रुख से निकाय चुनाव का मुकाबला और दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है।
पिंपरी-चिंचवड में एक चुनावी रैली के दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस गठबंधन की आधिकारिक घोषणा की। उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि नगर निगम चुनावों के लिए ‘घड़ी’ और ‘तुरही’ एक हो गए हैं और परिवार फिर से एकजुट हो गया है। गौरतलब है कि 2023 में पार्टी टूटने के बाद चुनाव आयोग ने ‘घड़ी’ का चिह्न अजित पवार को दिया था, जबकि शरद पवार के गुट को ‘तुरही’ आवंटित की गई थी। अब ये दोनों चिह्न एक ही गठबंधन का हिस्सा होंगे।
अजित पवार ने प्रभाग क्रमांक 1 और 12 के उम्मीदवारों के प्रचार का नारियल फोड़कर अभियान का आगाज किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि एशिया की सबसे समृद्ध महापालिकाओं में शुमार पिंपरी-चिंचवड को भाजपा के शासन में भारी कर्जदार बना दिया गया। उन्होंने प्रशासनिक ढीलेपन और गलत फैसलों के कारण शहर को हुए नुकसान का मुद्दा उठाते हुए भाजपा नेताओं से तीखा सवाल किया- “कहां चुकाओगे यह पाप?”
पुणे और पिंपरी-चिंचवड को पवार परिवार का पारंपरिक गढ़ माना जाता है और 2017 से यहां राष्ट्रवादी कांग्रेस का दबदबा रहा है। बृह्नमुंबई नगर निगम (BMC) के बाद यह सबसे संपन्न नगर निगम है। अजित पवार ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे विकास के नाम पर वोट मांगें और किसी भी प्रकार की विवादित टिप्पणी से बचें। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मुकाबला उन लोगों से है जिन्होंने इस निगम को कर्ज में डुबोया है।
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इस गठबंधन पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता नवनीत राणा ने दावा किया कि अजित पवार पहले भी शरद पवार के कहने पर ही भाजपा में शामिल हुए थे और वे उनके एकजुट होने से खुश हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में अब केवल ‘नाम’ की राजनीति नहीं चलेगी। महाराष्ट्र के 29 नगर निकायों के लिए मतदान 15 जनवरी को होगा और परिणाम 16 जनवरी को आएंगे। नामांकन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर तय की गई है।