
हिरकणी कक्ष (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: राजीव गांधी प्राणी संग्रहालय में प्रतिदिन पांच हजार से अधिक पर्यटक आते हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा होती है, लेकिन यहां स्तनपान हेतु अनिवार्य ‘हिरकणी कक्ष’ का अभाव गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
स्थिति यह रही कि आठ महीने के शिशु के साथ आए एक दंपति को बीच में ही संग्रहालय छोड़ना पड़ा। यह घटना साफ दिखाती है कि सार्वजनिक स्थानों पर नर्सिंग रूम बनाने के सरकारी आदेशों को संग्रहालय प्रशासन खुलकर नजरअंदाज कर रहा है।
सालाना 18 लाख पर्यटकों की आवाजाही के बावजूद महिलाओं के लिए मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध न होना प्रशासन की संवेदनशीलता पर सीधा प्रश्नचिन्ह है। यह लापरवाही मनपा के महिला सुरक्षा संबंधी दावों की पोल खोलती है।
215 गार्डन में से एक में भी ‘कक्ष’ गार्डन में से 215 गार्डन नागरिकों के लिए खुले हैं। राजीव गांधी प्राणी संग्रहालय, नानासाहेब पेशवे उद्यान और पु। ल। देशपांडे उद्यान में भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन इनमें से एक भी गार्डन में ‘हिरकणी कक्ष’ नहीं है। स्तनपान के लिए एक स्वतंत्र और सुरक्षित जगह की आवश्यकता होने के बावजूद पुणे मनपा ने विभिन्न स्थानों पर लाखों रुपए के काम किए।
‘हिरकणी कक्ष’ के बारे में पूछे जाने पर प्राणी संग्रहालय के निदेशक डॉ राजीव जाधव ने दावा किया कि अभी एक छोटा कक्ष मौजूद है। बड़े और सुसज्जित ‘हिरकणी कक्ष’ को विकास योजना में शामिल किया गया है। लेकिन अब तक इसे क्यों नहीं बनाया गया?’
इस सीधे सवाल पर उन्होंने टालमटोल करने की कोशिश की और अस्पष्ट जवाब दिया, यहां रोजाना माताओं और बच्ची के आने के बावजूद इस सुविधा का अब तक उपलब्ध नहीं होना प्रशासन की लापरवाही का गंभीर उदाहरण है।
महाराष्ट्र में ‘हिरकणी कक्ष’ की शुरुआत सबसे पहले मुंबई और नागपुर विधानभवनों में की गई थी। इसके बाद मनपा, जिलाधिकारियों के कार्यालयों, न्यायालयी, पुलिस थानों, मेली, उत्सवों और सार्वजनिक स्थानों पर ये सुविधाएं शुरू की गई लेकिन सच्चाई यह है कि इनमें से कई कक्ष केवल उद्घाटन तक ही सीमित रहे।
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स्तनपान कराने वाली माताओं को सुरक्षित, स्वच्छ और निजी स्थान उपलब्ध कराना, बच्चों को समय पर स्तनपान मिल सके, सार्वजनिक स्थानी पर माताओं को होने वाली असुविधाओं को दूर करना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना। इन उद्देश्यों के बावजूद पुणे के प्रमुख आकर्षण स्थल पर इस सुविधा का नहीं होना प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
-पुणे से नवभारत लाइव के लिए समीर सैयद की रिपोर्ट






