
शरद पवार व अजित पवार (डिजाइन फोटो)
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे इस समय राजनीतिक अस्थिरता और नाटकीय घटनाक्रमों का केंद्र बनी हुई है।
रविवार को शहर में आयोजित महाविकास आघाड़ी (एमवीए) की एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठक से राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) गुट के नेताओं की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में नए कयासों को जन्म दे दिया है।
एक तरफ जहां आघाड़ी के घटक दल (कांग्रेस व शिवसेना-ठाकरे गुट) तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं शरद पवार गुट की दूरी ने आगामी चुनाव की दिशा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
पिछले कुछ दिनों से पुणे की राजनीति में पल-पल समीकरण बदल रहे हैं। शुरुआत में चर्चा थी कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सीट बंटवारे पर किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं। हालांकि, सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर असहमति के कारण यह बात आगे नहीं बढ़ पाई।
शरद पवार गुट के नेता अंकुश काकड़े ने स्पष्ट किया था कि कुछ मुद्दों पर मतभेद के कारण फिलहाल चर्चा रुकी हुई है। इसके बाद दो दिन पहले एक होटल में हुई गोपनीय बैठक से लगा था कि शरद पवार गुट महाविकास आघाड़ी के साथ अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
पुणे में हुई बैठक में कांग्रेस और शिवसेना (ठाकरे गुट। के नेताओं ने शरद पवार गुट के रवैये पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस शहर अध्यक्ष अरविंद शिंदे ने साफ कर दिया कि वे अब और इंतजार करने के मूड में नहीं है और उनका ‘प्लान-ग्री तैयार है। वहीं शिवसेना के सजय मोरे ने संपर्क न हो पाने पर हैरानी जताई है।
शरद पवार गुट के नेता पहले बातचीत में शामिल थे, लेकिन अब वे वे पूरी तरह ‘नॉट रिवेबल’ हो गए है। अंकुश काकडे, विशाल तांबे और बापू पठारे जैसे नेताओं को लगातार फोन किए – जा रहे है। पर कोई जवाब नहीं मिल रहा। इससे – साफ है कि उनकी मानसिकता गठबंधन को लेकर रपष्ट नहीं है।
– संजय मोरे, शहर अध्यक्ष, शिवसेना (ठाकरे गुट)
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