
पुणे महानगरपालिका (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे महानगर पालिका (पीएमसी) को एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत हासिल हुई है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति को बड़ी मजबूती मिलने की उम्मीद है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने विज्ञापनदाताओं (एडवरटाइजर्स) द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मनपा द्वारा निर्धारित विज्ञापन शुल्क दरों का विरोध किया गया था।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब मनपा के विज्ञापनदाताओं से प्रति वर्ग फुट विज्ञापन के लिए 222 रुपये की बढ़ी हुई दर से शुल्क वसूलने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से महानगर पालिका के राजस्व में भारी वृद्धि होने की संभावना है।
वर्षों से लंबित 100 करोड रुपये से अधिक की बकाया राशि भी वसूल करने का मार्ग खुल गया है। बकाया और वर्तमान शुल्क मिलाकर, पुणे मनपा को कुल 400 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।
पुणे मनपा की विधि सलाहकार एड। निशा चव्हाण ने इस याचिका का लगातार और सशक्त फॉलोअप किया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनपा द्वारा अदालत में पेश की गई प्रभावी दलीलों को स्वीकार किया और विज्ञापनदाताओं को याचिका को अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया है।
मनपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एड। आशुतोष कुंभकोणी और एड। अभिजीत कुलकर्णी ने प्रभावी ढंग से पक्ष रखा। मनपा की मुख्य विधि अधिकारी एड। निशा चव्हाण के मार्गदर्शन में, विधि विभाग ने वर्ष 2021 से इस मामले को प्राथमिकता देते हुए अदालत में बार-बार मांग की। इसी वजह से इस मामले में 64 सुनवाई हुईं, जिनमें से 60 सुनवाई वर्ष 2021 के बाद संचालित की गई।
अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि महानगर पालिका को लाइसेंस शुल्क लगाने, वसूल करने, बढ़ाने और संबंधित कार्रवाई को विनियमित करने का कानूनी अधिकार है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि विज्ञापन एजेंसियों द्वारा दायर यह याचिका ‘लक्जरी लिटिगेशन’ थी, क्योंकि ये एजेंसियां ग्राहकों से शुल्क वसूलने के बावजूद आधिकारिक शुल्क भरने में टालमटोल कर रही हैं।
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