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Mahayuti And MVA Alliance Strategy: पुणे मनपा चुनाव की घोषणा के साथ ही शहर का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। अब सभी दलों की निगाहें सीट बंटवारे पर टिकी हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में महायुति में शामिल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने अपने सहयोगी दलों को संतुष्ट करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
वहीं दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के एकजुट होकर चुनाव लड़ने की संभावना है, लेकिन वहां भी सीट बंटवारे के साथ-साथ मजबूत और जीतने की क्षमता वाले उम्मीदवार ढूंढना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
पिछले मनपा चुनाव में बीजेपी और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) का गठबंधन था और इस बार भी इसके बने रहने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, गठबंधन के भीतर सीटों का संतुलन साधना आसान नहीं होगा।
आरपीआई उम्मीदवारों को एक बार फिर बीजेपी के ‘कमल’ चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि उन्हें सीमित सीटें देकर संतुष्ट किया जाएगा, यदि ऐसा होता है तो कई वाडों में बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ अजित पवार की एनसीपी के उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो जाएगा। महाविकास आघाडी (एमवीए) पुणे में एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
इसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरदचंद्र पवार की एनसीपी शामिल हैं। आम आदमी पार्टी ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। पिछले चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस के 10-10 नगरसेवक चुने गए थे, जबकि एनसीपी के 42 नगरसेवक थे, हालांकि, अब इन सभी दलों में विभाजन हो चुका है, इसलिए सीट बंटवारे में बड़ी अड़चन की संभावना कम मानी जा रही है। एमवीए के सामने सबसे बड़ी चुनौती सक्षम और जीत दिलाने वाले उम्मीदवारों को टिकट देना है।
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शिवसेना में विभाजन के बाद पुणे की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पांच नगरसेवकों को अपने पाले में लाकर संगठन को मजबूत किया है। तो वहीं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना में पूर्व नगरसेवक नाना भानगिरे और शहर प्रमुख अजय भोसले शामिल हुए हैं। कुल मिलाकर बीजेपी ने ठाकरे गुट की शिवसेना को कमजोर करने में सफलता पाई है। हालांकि, ठाकरे गुट ने भी पलटवार करते हुए पूर्व नगरसेवक वसंत मोरे को पार्टी में शामिल किया है।
इस राजनीतिक खींचतान के बीच चर्चा है कि बीजेपी ने शिंदे गुट के हिस्से की लगभग पांच सीटें पहले ही अपने खाते में कर ली हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि महायुति में शिंदे की शिवसेना को आखिर कितनी सीटें मिलेंगी। प्रारंभिक चर्चाओं में शिंदे गुट द्वारा 40 से 45 सीटों की मांग की जा रही है। इस पर निर्णय के लिए जल्द ही महायुति की बैठक होने की संभावना है।
इस बार पुणे मनपा चुनाव की पूरी प्रक्रिया केवल 31 दिनों में पूरी होगी, जो अब तक की सबसे कम अवधि मानी जा रही है। पहले यह प्रक्रिया 40 से 45 दिनों की होती थी। नामांकन पत्र दाखिल करने की अवधि 23 से 30 दिसंबर के बीच रहेगी। 30 दिसंबर के बाद नामांकन की छंटाई, नाम वापसी, चुनाव चिन्ह आवंटन और अंतिम उम्मीदवार सूची 3 जनवरी तक जारी कर दी जाएगी। कम समय के कारण उम्मीदवारों को प्रचार के लिए बेहद सीमित अवधि मिलेगी। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों में बीजेपी इस चुनाव के लिए सबसे ज्यादा तैयार दिखाई दे रही है।