शीतल तेजवानी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune Police Questioning Sheetal Tejwani: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी से जुड़े पुणे के विवादास्पद भूमि सौदे में बड़ा अपडेट सामने आया है। पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बुधवार को निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येवले और ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ धारक शीतल तेजवानी से पूछताछ की है। यह जमीन कथित तौर पर सरकार की है।
पुणे पुलिस ने विवादास्पद भूमि सौदे के संबंध में निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येवले और ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (पीओए) धारक शीतल तेजवानी से संयुक्त रूप से पूछताछ की है। यह मामला उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी ‘अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी’ से संबंधित है। इस मामले की प्राथमिकी खड़क थाने में दर्ज की गई थी, जिसमें येवले, तेजवानी, और अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी के साझेदार दिग्विजय पाटिल आरोपी हैं।
हालांकि पार्थ पवार अमेडिया एंटरप्राइजेज में सबसे बड़े साझेदार हैं, लेकिन प्राथमिकी में उनका नाम शामिल नहीं है। पाटिल, पार्थ पवार के व्यापारिक साझेदार और संबंधी बताए जाते हैं। भूमि विक्रेताओं की ओर से पीओए धारक तेजवानी को तीन दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था, और वह 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में थीं।
यह विवाद मुंडवा के पॉश इलाके में स्थित 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसे अमेडिया एंटरप्राइजेज को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया था। यह सौदा पिछले महीने तब जांच के दायरे में आया जब यह खुलासा हुआ कि यह जमीन वास्तव में सरकार की है और इसे बेचा नहीं जा सकता था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, येवले को ईओडब्ल्यू कार्यालय में तलब किया गया था, जहां उनसे और तेजवानी से एक साथ पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान, निलंबित तहसीलदार से उस नोटिस के संबंध में सवाल किए गए, जो उन्होंने जमीन के पट्टेदार भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) को जारी किया था, जिसमें उन्हें जमीन खाली करने के लिए कहा गया था।
अधिकारियों के अनुसार, अमेडिया एंटरप्राइजेज से एक पत्र प्राप्त होने के बाद येवले ने जिला कलेक्टर कार्यालय को मामले की सूचना देने के बजाय सीधे सरकारी अनुसंधान संस्थान बीएसआई को बेदखली का नोटिस भेज दिया था। पत्र में कंपनी ने दावा किया था कि सौदे के बाद वह भूमि की नई मालिक है।
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आरोप है कि पीओए धारक शीतल तेजवानी ने यह जानते हुए भी कि भूमि राज्य सरकार की है, उसे अमेडिया एंटरप्राइजेज को बेच दिया। एक गंभीर आरोप यह भी है कि कंपनी को 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी का भुगतान करने से भी कथित तौर पर छूट दी गई थी।
यह सौदा सामने आने के बाद, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पिछले महीने इस पर सफाई दी थी। उन्होंने दावा किया था कि पार्थ और उनके कारोबारी साझेदार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह जमीन सरकार की है। पवार ने यह भी दावा किया था कि विवादित सौदा रद्द कर दिया गया है।