पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pimpri Chinchwad News In Hindi: पिंपरी चिंचवड मनपा सीमा में प्रभाग 8 में आने वाले इंद्रायणीनगर-गवलीमाथा-बालाजीनगर का राजनीतिक समीकरण 2017 की तुलना में पूरी तरह से बदल गया है।
इस प्रभाग और शहर के भारतीय जनता पार्टी की तेजतर्रार नेता सीमा सावले ने राष्ट्रवादी अजीत पवार गुट में प्रवेश किया है, जबकि उनके साथ तुषार सहाणे के जाने से भी भाजपा के लिए यहां मुश्किलें खड़ी हो गई है।
2017 में भाजपा के 3 और राष्ट्रबादी के 1 उम्मीदवार चुनकर आए थे। ऐसे में इस बार भाजपा के लिए राह आसान नहीं रहने वाली है। प्रभाग में किसी तरह का बदलाव नहीं 2017 के चुनाव की तरह प्रभाग ‘रचना जैसे थे वैसे ही है। प्रभाग क्रमांक 8 में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।
जिस तरह से 2017 की तरह प्रभाग निक्षित हुआ है। उसी तरह से 2011 के जनगणना को आधार बनाया गया है। तत्कालीन जनगणना के अनुसार प्रभाग की आबादी 50 हजार 164 दर्शाई गई है। इनमें से 7 हजार 191 लोग अनुसूचित जाति और 1 हजार १० लोग अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं।
आबादी के अनुसार 2017 में शहर में भाजपा की भारी लहर थी। इस प्रभाग से भाजपा के तीन नगरसेवक चुनकर आए थे। प्रभाग के अ गुट से भाजपा के टिकट पर सीमा सावले को 9 हजार 806 वोट मिला था। उन्होंने राष्ट्रवादी की सविता झोंबाडे को पराजित किया था।
महापालिका में भाजपा की सत्ता आने के बाद सीमा सावले को पहली बार स्थायी समिति का सभापति बनने का मौका मिला था। इसके बाद सावले और भाजपा के स्थानीय नेताओं में मतभेद पैदा हो गए। महापालिका का प्रस्तावित चुनाव जो 2022 में होना था।
उसे लेकर सावले ने भाजपा के खिलाफ रुख अपनाया था। इसके बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में सावले ने पिंपरी विधानसभा से चुनाव लड़ने की जोरदार तैयारी की थी, लेकिन उन्हें पार्टी की तरफ से टिकट नहीं मिला।
विलास मडिगेरी रह चुके है स्थायी समिति के सभापति : प्रभाग ब- गुट से भाजपा की नम्रता लोंढे को 10 हजार 642 वोट मिले थे। उन्होंने इस वार्ड से राष्ट्रवादी की सोनाली उदावंत को पराजित किया था। साथ ही क गुट से भाजपा के विलास मडिगेरी को 9 हजार 358 वोट मिला था और उन्होंने राष्ट्रवादी के संजय वाबले को पराजित किया था, भाजपा की तरफ से मडिगेरी को पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के तौर पर स्थायी समिति का सभापति बनने का मौका दिया गया था।
पूर्व विधायक विलास लांडे के पुत्र विक्रांत लांडे ने भी प्रभाग से चुनाव लड़ा था। भाजपा की तरफ से सारंग कामतेकर के खिलाफ उन्हें 7 हजार 933 वोट मिले और विक्रांत लांडे घड़ी चुनाव चिन्ह पर विस चुनाव में उन्होंने अजीत गवाणे के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार पार्टी में प्रवेश किया था।
इसके बाद फिर से अजीत पवार के गुट में शामिल हो गए। इस गुट से मौजूदा विधायक महेश लांडगे के तत्कालीन समर्थक तुषार सहाणे ने ‘धनुष बाण’ चिन्ह पर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उन्हें 7 हजार 586 वोट मिले थे। केवल 347 वोटों से सहाणे को हार झेलनी पड़ी। इसके बाद सहाणे ने राष्ट्रवादी में प्रवेश किया है।
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पिछले 20 वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत हूं। 2017 के चुनाव में प्रस्थापित उम्मीदवार को चुनकर लाने के लिए ‘तुषार सहाणे को बली का बकरा बनाया गया। इस तरह की भावना नागरिकों में है, सत्ता में नहीं होने के बावजूद हमने लोगों से संपर्क रखा, लोगों का काम कर रहे हैं। 1991 से इस प्रभाग में रहता आ रहा हूं। ऐसे में सभी पार्टी के कार्यकर्ता हमारे साथ है। इस बार हमारा पैनल बहुमत से चुनकर आएगा।
– तुषार सहाणे, इच्छुक उम्मीदवार