
पिंपरी: पुलिस महकमे (Police Department) में तब खलबली मच गई जब पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad ) के पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश (Police Commissioner Krishna Prakash) का अचानक तबादला (Transfer) कर दिया गया। अन्य दो आयुक्तों की भांति वे भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं। उन्हें विशेष पुलिस महानिरीक्षक वीआईपी सिक्योरिटी पद पर नियुक्ति की गई है। वहीं, पिंपरी-चिंचवड के नए पुलिस आयुक्त अंकुश शिंदे ने गुरुवार की दोपहर आयुक्तालय पहुंचकर अपना पदभार संभाल लिया। अप्पर पुलिस आयुक्त डॉ संजय शिंदे ने उनका स्वागत किया। निवर्तमान पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश इन दिनों विदेश गए हुए हैं।
पिंपरी-चिंचवड के चौथे पुलिस कमिश्नर के तौर पर सुधार और सेवा विभाग के विशेष पुलिस महानिरीक्षक अंकुश शिंदे की नियुक्ति की गई है। राज्य सरकार के गृह विभाग ने बुधवार की देर रात 22 आईपीएस पुलिस अधिकारियों के तबादले के आदेश जारी किए गए हैं।
15 अगस्त 2018 को, पुणे शहर और ग्रामीण पुलिस बल को विभाजित किया गया और पिंपरी-चिंचवड शहर और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए एक स्वतंत्र पुलिस आयुक्तालय की स्थापना की गई। अब तक तीनों पूर्व कमिश्नर जो तब से शहर में नियुक्त हुए हैं, वे कम से कम दो साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। तत्कालीन राज्य सरकार ने विभिन्न कारणों से पिछले तीन कमिश्नरों को बदल दिया है। पिंपरी-चिंचवड के पहले पुलिस कमिश्नर आर.के. पद्मनाभन ने आयुक्तालय की स्थापना के बाद से उसके निर्माण के लिए काम किया है। उनके पीछे आए संदीप बिश्नोई ने स्थिति को सुधारने की कोशिश की। दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी सरकार ने 18 महीने पहले सितंबर 2020 में आयुक्तालय के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक का पद का दर्जा हटाकर विशेष महानिरीक्षक कृष्ण प्रकाश को कमिश्नर नियुक्त किया था।
पिंपरी-चिंचवड आयुक्तालय की बागडोर संभालने के बाद कृष्ण प्रकाश ने सबसे पहले शहर में पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास किया। उनके समय के दौरान शहर के लिए पहली पुलिस भर्ती हुई थी। चाहे आयुक्तालय को वाहन उपलब्ध कराने की बात हो या विभिन्न दस्तों को शुरू करने की, कमिश्नर कृष्ण प्रकाश ने संगठित अपराध पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कमिश्नर कृष्ण प्रकाश ने पिछले 18 महीनों में कई जनहितकारी फैसलों को लागू करते हुए कई पहल की हैं। अवैध धंधों के काले कृत्यों पर अंकुश लगाने के उनके प्रयास सराहनीय थे। वह कभी किसी राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुके। हालांकि ट्रैफिक की समस्या को दूर करने में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। स्ट्रीट क्राइम में चार साल बाद भी कोई खास बदलाव नजर नहीं आया। कमिश्नर कृष्ण प्रकाश ने राजनीतिक वजन का इस्तेमाल कर शहर में पोस्टिंग पाने वाले अधिकारियों को दरकिनार कर विभिन्न दस्तों के प्रमुख के तौर पर सहायक निरीक्षक दर्जे के अधिकारियों की नियुक्ति की, उनका यह प्रयोग काफी हद तक सफल भी रहा। पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश ने आपराधिक दुनिया में फंसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया था। कमिश्नर कृष्ण प्रकाश ने शहर में अवैध कारोबार फैलने या पनपने नहीं होने दिया। वे इसे पूरी तरह से बंद रखने की कोशिश कर रहे थे। उनका विचार था कि सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए इन अवैध रूपों को रोका जाना चाहिए। हालांकि विशेष दस्तों की कार्रवाई लगातार शहर में चल रही थी। इससे साफ होता है कि अवैध प्रकार 100 फीसदी बंद नहीं हो सके थे।
नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर अंकुश शिंदे ने लंदन में अपराध और कानून प्रवर्तन में प्रशिक्षण के अलावा हैदराबाद में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसका उपयोग शिंदे ने सोलापुर और अन्य जगहों पर पोस्टिंग के दौरान किसी की नकेल कैसे कसी जाए, यह जानने के लिए उठाया है। उन्होंने अब तक संगठित अपराध पर अच्छा “अंकुश” रखा है। सोलापुर के तत्कालीन नगरसेवकों के साथ-साथ सफेदपोश अपराधियों के खिलाफ उनकी कार्रवाई हमेशा चर्चा में रही है। अंकुश शिंदे ने रात-दिन सार्वजनिक सड़क के किनारे या चौक में बैठकर गपशप और हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्होंने पुलिस के लापरवाह व्यवहार पर भी विशेष ध्यान दिया। औद्योगिक शहर पिंपरी-चिंचवड में भी इसी तरह की कार्रवाई की जरूरत है। ‘टेढ़े’ राजनेताओं को सीधा करने वाले यूनिट कमांडर अंकुश शिंदे और उनके स्टाफ अधिकारियों के उचित और कानूनी काम के साथ मजबूती से खड़े रहनेवाले प्रभारी पुलिस कमिश्नर की पहचान पिंपरी-चिंचवड में बनाए रखने की जरूरत है।






