पवार परिवार (डिजाइन फोटो)
Jai Pawar Wedding: महाराष्ट्र के प्रभावशाली पवार परिवार में राजनीतिक मतभेद अब मांगलिक एवं पारिवारिक समारोहों में भी साफ झलकने लगे हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार के छोटे बेटे जय पवार की शाही शादी के समारोह में परिवार और पार्टी के कई अहम सदस्यों की अनुपस्थिति ने इस बात की अटकलों को बल दिया है कि क्या पवार परिवार भाइयों के बीच बंटवारे का सामना कर रहा है।
जय पवार और ऋतुजा पाटिल का विवाह समारोह बहरीन में आयोजित किया गया है, जिसकी शुरुआत आज यानी 4 दिसंबर से हो गई है। इस खुशी के मौके पर जब पूरा परिवार एक साथ होना चाहिए था, लेकिन अजित पवार के सगे भाई श्रीनिवास पवार ने शादी में न जाने का फैसला किया है। श्रीनिवास पवार और उनकी पत्नी बेंगलुरु में एक अन्य विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे हैं।
पिछला एक और घटनाक्रम इस अनुपस्थिति के पीछे की मुख्य वजह माना जा रहा है। दरअसल, श्रीनिवास पवार के बेटे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदपवार गुट) के युवा नेता युगेंद्र पवार की शादी पिछले महीने मुंबई में हुई थी। तब अजित पवार ने स्थानीय निकाय चुनावों के प्रचार का हवाला देते हुए शादी में जाने से परहेज किया था, केवल उनकी पत्नी और बच्चों ने ही हिस्सा लिया था।
युगेंद्र पवार ने बारामती विधानसभा सीट से अजित पवार को चुनौती दी थी। इसलिए तब भी राजनीतिक हलकों में चर्चा हुई थी कि अजित पवार ने जानबूझकर शादी में न जाने का फैसला लिया। अब श्रीनिवास पवार के जय पवार की शादी में न जाने के फैसले ने इस पारिवारिक तनाव और राजनीतिक मतभेदों की चर्चा को और हवा दे दी है।
अजित पवार और परिवार ने जय की शादी के लिए बहरीन में चार दिन के पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। 4 दिसंबर को मेहंदी, 5 को हल्दी, बारात और विवाह समारोह, 6 दिसंबर को संगीत और 7 दिसंबर को स्वागत समारोह होगा।
पवार परिवार की राज्य और देश में बड़ी पैठ के बावजूद, इस शाही समारोह में केवल 400 चुनिंदा मेहमानों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन श्रीनिवास पवार के अलावा, परिवार और पार्टी की कई और बड़ी हस्तियां इस समारोह में शामिल नहीं हो रही हैं, जिससे परिवार के इस मांगलिक कार्यक्रम का आनंद फीका पड़ता नजर आ रहा है।
श्रीनिवास पवार की जगह उनके बेटे युगेंद्र पवार और बहू तनिष्का कुलकर्णी शादी में शामिल होंगे। सुनील तटकरे की जगह उनका परिवार उपस्थित रहेगा, जबकि सुप्रिया सुले की बेटी रेवती सुले ही इस परिवार की एकमात्र सदस्या होंगी जो वहां मौजूद रहेंगी। कुल मिलाकर, यह तस्वीर साफ दिखा रही है कि राजनीतिक मतभेदों के चलते कौटुंबिक संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। भविष्य में ये पारिवारिक संबंध सामान्य होंगे या फिर यह ‘भाऊबंदकी’ का ग्रहण बना रहेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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इस बीच जय के विवाह में उनके बड़े भाई पार्थ की उपस्थिति पर सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने अड़ंगा लगाने का प्रयास किया। पुणे के जमीन घोटाले में फंसे पार्थ के वापस भारत लौटने पर संदेह व्यक्त किया है।
दमानिया ने मीडिया से बातचीत में पूछा कि एक गंभीर मामले में नाम आने के बावजूद पार्थ पवार को देश से बाहर जाने की अनुमति कैसे दी गई। उन्होंने आशंका जताई कि पार्थ को बहरीन में ही बसाया जा सकता है, ताकि उन्हें मामले की जांच से बचाया जा सके। उन्होंने खड़गे समिति की रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की।