
पवना नदी प्रदूषण (सौ. सोशल मीडिया )
Pavana River Pollution: पिंपरी-चिंचवड शहर के पानी की जरुरतों को पवना नदी के पानी से पूरा किया जाता है। लेकिन जब से यह नदी प्रदूषित हुई है और इसमें केमिकल कचरा मिल रहा इसका पानी शहर के नागरिकों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है।
पवना नदी के प्रदूषण को लेकर हर स्तर से सवाल खड़े किए जाते रहे है और मौजूदा समय में भी इसे लेकर तमाम तरह की आलोचनाएं हो रही है। लेकिन पवना नदी की सूरत नहीं बदल रही है। इसी बीच थेरगांव स्थित केजुवाई बंधारे पर पवना नदी के पानी में 21 नवंबर को एक बार फिर से झाग देखने को मिला।
इससे पूर्व भी कई मौकों पर इस पानी में झांग नजर आ चुका है जो इस बात का प्रतीक है कि पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। पवना नदी के प्रदूषण को दूर करने के लिए सांसद श्रीरंग बारणे ने हाल ही में प्रशासन को तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए थे।
लेकिन ऐस्सा प्रतीत होता है कि प्रशासन ने सांसद के निर्देशों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। क्योंकि पवना नदी का प्रदूषण पहले जैसा था आज भी वैसा है और इसी बीच पानी में झांग निकलने से साफ है कि इसमें प्रदूषण का स्तर बढ़ चुका है।
बेरगांव बोट क्लब के पास केजुबाई बंधारे के निकट पवना नदी में बड़े पैमाने पर झाग बन गया है। पवना नदी में यह पहली बार झाग नहीं बना है इससे पहले भी यह देखा गया था कि नदी से कुछ दूरी पर स्थित कंपनियों द्वारा रासायनिक युक्त पानी नदी के पात्र में छोड़े जाने के कारण यह झाग बनता रहा है।
लेकिन ऐसी कंपनियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही इस प्रदूषण से बचने के लिए कोई उपाय ही किए गए, इस प्रदूषित पानी के कारण नदी के जलीय जीवों पर ही संकट नहीं मंडरा रहा है।
शहर के लाखों लोगों के घरों सप्लाई होने वाले पानी के प्रदूषण से शहर का जनजीवन भी संकट में आ गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब पिंपरी-चिंचवड महापालिका का पर्यावरण विभाग इन कंपनियों पर कार्रवाई करेगा।
सांसद श्रीरंग बारणे के निर्देश के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई उपाय नहीं किया जाना इस बात की तरफ इशारा करता है कि प्रशासन को पवना नदी में बढ़ते प्रदूषण से कोई लेना देना नहीं है। सासद श्रीरंग बारणे ने कुछ दिनों पहले महापालिका आयुक्त श्रवण हर्डीकर को निर्देश दिया था कि शहर की नदिया बड़े पैमाने पर प्रदुषित हो रही है और इसके लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए।
उन्होंने बताया था कि शहर से बहने वाली पवना और इंद्रायणी नदी के पात्र में मलबा डाला जा रहा है और मैला मिश्रित पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। नदी सुधार पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नदी की दयनीय स्थिति है, प्रशासन केवल टेंडर निकालने में व्यस्त है।
बढ़ते प्रदूषण के कारण वरिष्ठ नागरिकों और छोटे बच्चों को सांस की बीमारियों सहित कई तरह की परेशानियां हो रही है। इसलिए, सांसद बारणे ने महापालिका प्रशासन को प्रदूषण कम करने के लिए तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए थे।
सबसे प्रदूषित नदियों में से एकः पवना नदी में प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है और कुछ रिपोटों के अनुसार यह देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बन गई है। इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सर्वाधिक दूषित नदियों की प्राथमिकता-एक श्रेणी में शामिल किया गया है।
65 घरों से निकलने वाला घरेलू सीवेज (अपशिष्ट जल) और अनुपचारित (बिना ट्रीट किए) गदा पानी सीधे नदी में छोड़ा जाता है। पिंपरी-चिंचवड शहर से होकर बहने वाले लगभग 65 नाले पवना नदी में आकर मिलते हैं।
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पिपले गुरव, नवी सांगवी और जुनी सांगवी जैसे इलाकों से सीवेज नदी में मिल रहा है। शहर में सीवेज लाइन व्यवस्था होने के बावजूद कई जगहों पर लाइनों से लीकेज हो रहा है और मैनहोल के ढक्कन ओवरफ्लो होकर दुषित पानी सीधे नदी में जा रहा है।






