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पुणे: जिला परिषद स्कूलों (Zilla Parishad Schoools) में प्रधानाध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रधानाध्यापक पद (Headmaster Post) पर प्रमोशन की प्रक्रिया पिछले पांच साल से रुकी हुई है। नतीजतन, पुणे जिले ( Pune District) के करीब तीन सौ स्कूलों में हेडमास्टरों के पद फिलहाल खाली हो गए हैं। वर्तमान में इन रिक्त पदों पर संबंधित विद्यालयों में वरिष्ठता क्रम में वरिष्ठ उप अध्यापक ही प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। इसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ने लगा है।
जिला परिषद स्कूल में उप शिक्षक का मुख्य काम छात्रों को पढ़ाना है। प्रधानाध्यापकों के कंधों पर प्रशासनिक कार्यों का भारी बोझ है। अतः यह सत्य है कि यदि मूल उप शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत है तो वह अपने प्रशासनिक बोझ के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाने में समय नहीं दे पाता है।
महाराष्ट्र राज्य कास्ट्राइब शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गौतम कांबले ने मांग की है कि जिला परिषद प्रशासन को प्राचार्यों के रिक्त पदों को तत्काल प्रमोशन से भरना चाहिए ताकि प्रभारी प्राचार्य अपना मूल कार्य कर सकें। इसके लिए पारस्परिक जिला स्थानांतरण से आए शिक्षकों की वरिष्ठता सूची घोषित की जाए, स्नातक शिक्षक जो विषयवार आवश्यकता से अधिक और मांग में हैं उन्हें उप अध्यापक पद पर पुनः नियुक्त किया जाए, जिला परिषद में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि घोषित की जाए। जिला स्थानांतरण से आए सभी शिक्षकों की स्कूल में ज्वाइनिंग की तिथि ही मानी जाए। अंतरजिला शिक्षक स्थानांतरण प्रक्रिया में शिक्षकों के साथ कोई अन्याय न हो, यह सुनिश्चित करने की मांग कांबले ने की है।
पुणे जिले में जिला परिषद की 3 हजार 717 स्कूल हैं। इनमें सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले 750 स्कूल शामिल हैं। शेष स्कूलों में से लगभग 50 स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कक्षा 5वीं और 8वीं शुरू कर दी हैं। इसके अलावा अन्य सभी स्कूलों में चौथी कक्षा तक की कक्षाएं हैं। जिले के कुल स्कूलों में से आधे से अधिक दोहरी शिक्षा वाले हैं।