पुणे: शहर ही नहीं, बल्कि राज्य के वैभव को चार चांद लगाने वाले दिवे घाट के मुहाने पर बसे ऐतिहासिक मस्तानी तालाब सूखा (Mastani Pond) पड़ा है। तालाब (Pond) में पानी (Water) नहीं होने की वजह से यहां आने वाले पर्यटक (Tourists) निराश होकर लौट रहे है। राज्य सरकार और पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण तालाब जर्जर हो गया है। इसे लेकर पर्यटकों द्वारा नाराजगी व्यक्त की जा रही है।
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग पर वडकीनाला (तालुका-हवेली) के नागमोडी के टर्निंग में दिवे घाट में पेशवाकालीन मस्तानी तालाब में बेहद कम पानी है। बारिश कम हुई है। पहाड़ी से आने वाला बारिश का पानी तालाब में लाने के लिए प्रशासन की तरफ से किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है। इस वजह से तालाब में हर वर्ष पानी का स्टॉक कम होता जा रहा है। मस्तानी तालाब का वैभव बनाए रखने के लिए प्रशासन को एक कदम आगे बढ़ाकर विकास करने की जरुरत है। इस तरह की भावना ग्रामीणों ने व्यक्त की है।
मस्तानी तालाब का पुरातत्व विभाग और प्रशासन की उदासीनता की वजह से देखभाल और मरम्मत नहीं हो रही है। इसकी वजह से तालाब पूरी तरह से जर्जर हो गया है। मस्तानी तालाब की सुरक्षा दीवार जगह-जगह से टूटती नजर आ रही है। आसपास पेड़ पौधे बढ़ गए हैं। तटबंध भी ढह रहा है। पहाड़ी से पानी के बारिश के पानी के साथ पत्थर, मिट्टी सीधे तालाब में गिर रहा है।
ऐतिहासिक मस्तानी तालाब को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा बार-बार किया जाता है, लेकिन चुनाव होते ही ये घोषणाएं हवा में उड़ जाती है। मस्तानी तालाब का पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया गया तो नौकरीपेशा, कामगार वर्ग को छुट्टी के दिन घुमने, स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों को ऐतिहासिक धरोहर को देखने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही इससे जुड़े व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। रोजगार उपलब्ध होगा। साथ ही ऐतिहासिक स्थल का जतन होने से स्थायी रूप से राजस्व प्राप्त हो सकता है। यह विश्वास स्थानीय सीनियर नागरिक ने व्यक्त किया है।
[blockquote content=”यह मस्तानी तालाब 14 एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसमें 50 फीट से अधिक पानी का स्टॉक रहता है, लेकिन पिछले वर्ष बारिश कम होने की वजह से इस बार मस्तानी तालाब सूख गया है। इस तालाब की वजह से कुएं और बोरवेल को पानी नहीं मिल रहा है। इसके कारण परिसर में पानी की किल्लत पैदा हो गई है। विधायक संजय जगताप और सांसद सुप्रिया सुले से मस्तानी तालाब परिसर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो इसके लिए प्रयास जारी है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 15 करोड़ रुपए मंजूर किए गए है। ” pic=”” name=”-अरुण गायकवाड़, सरपंच- वडकी”]