पुणे: लगातार पिछले कुछ वर्षों से चट्टानों के खिसकने से सिंहगढ़ घाट रोड (Sinhagad Ghat Road) जानलेवा बन गया है। अब भी घाट रोड (Ghat Road) पर छोटी-बड़ी चट्टानें और मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। इस सड़क से प्रतिदिन हजारों पर्यटकों (Tourists) के साथ स्थानीय लोग और विक्रेता आते-जाते हैं, लेकिन सवाल ये है कि प्रशासन इस पर कब गंभीरता से गौर करेगा। सिंहगढ़ के घाट रोड पर वीकेंड पर भारी ट्रैफिक जाम रहता हैं।
कोंढणपुर फाटा से लेकर रेलवे स्टेशन तक वाहनों की कतारें लगी हुई रहती हैं। इस दौरान बारिश शुरू होने के बाद पर्यटक पहाड़ी की चोटी पर खड़े हो जाते हैं। अंदर बड़े-बड़े पत्थरों के फंसने या पहाड़ के किसी हिस्से के ढहने से भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में राहत और बचाव कार्य में बड़ी बाधा आ सकती है। इसलिए प्रशासन की स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही करनी चाहिए।
बारिश शुरू होने के बाद पिछले पंद्रह से बीस दिनों में सिंहगढ़ आने वाले पर्यटकों की संख्या हर दिन औसतन पांच से दस हजार तक पहुंच गई है। शनिवार और रविवार को यह आंकड़ा दोगुना हो जाता है। अधिकांश पर्यटक घाट रोड से किले तक टू व्हीलर या फोर व्हीलर से जाते हैं। घाट रोड पर गोलेवाड़ी में चेक प्वाइंट से करीब डेढ़ से दो किलोमीटर दूर एक बेहद खतरनाक दरार है। यहां साल भर बड़े-बड़े पत्थर गिरकर सड़क पर आ जाते हैं। इस स्थान पर तीव्र मोड़ और ढलान होने के कारण ढहने के दौरान वहां वाहन होने पर अनहोनी की आशंका रहती है। चूंकि घाट रोड पर आठ से दस अन्य स्थानों पर भी स्थिति ऐसी ही है, इसलिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
[blockquote content=”लोक निर्माण विभाग को दरार निवारण कार्य के लिए तत्काल टेंडर प्रक्रिया करने के निर्देश दिए गए हैं और जल्द से जल्द काम शुरू करने पर चर्चा चल रही है। जिन स्थानों पर भूस्खलन का खतरा है, वहां पर्यटकों को चेतावनी देने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएंगे। ऐसे बोर्ड भी लगाए गए हैं।” pic=”” name=” – प्रदीप संकपाल, भम्बूड़ा वन परिक्षेत्र अधिकारी”]