पुणे पुलिस (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे के ऐतिहासिक गणेश विसर्जन जुलूस की शुरुआत में ही पुलिसकर्मियों ने पूर्व महापौर, पूर्व नगरसेवकों और मनपा के अधिकारियों को कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया।
परंपरा के अनुसार जुलूस की शुरुआत मंडई में लोकमान्य तिलक की प्रतिमा पर माल्यार्पण और ‘मानाचा गणपती’ (सम्मान के गणपति) के दर्शन के बाद होती है। लेकिन इस साल सुरक्षा के नाम पर पुलिस ने बैरिकेडिंग करके कई नेताओं को रोक दिया। पुणे की पहली महिला महापौर कमल व्यवहारे को भी पुलिस ने बैरिकेड के बाहर रोक दिया। इस वाकये से कार्यकर्ताओं, नेताओं और पीएमसी अधिकारियों में काफी नाराजगी देखने को मिली। सवाल यह उठ रहा है कि जब यह कार्यक्रम मनपा का है तो पुलिस ने इसे अपने नियंत्रण में कैसे ले लिया था।
कई सालों से पुणे के विसर्जन जुलूस की शुरुआत महात्मा फुले मंडई से होती है पहले महापौर लोकमान्य तिलक की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते थे और कसबा गणपति के दर्शन करके जुलूस शुरू करते थे। लेकिन पिछले तीन साल से प्रशासक राज के चलते यह जिम्मेदारी मनपा आयुक्त निभा रहे हैं।
इस बार भी उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल, उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल, नगर विकास राज्यमंत्री माधुरी मिसाल सहित कई नेता मौजूद थे। लेकिन पुलिस ने मंडई में बैरिकेडिंग करके मनपा के अधिकारियों और पार्टी के पदाधिकारियों को रोक दिया। अधिकारियों और नेताओं को पहचान नहीं पाने से माहौल बिगड़ गया। कई लोगों ने पुलिस के इस रवैये पर नाराजगी जताई। लोगों ने सवाल उठाए कि बिना कारण बैरिकेडिंग करके खतरनाक स्थिति क्यों पैदा की गई?
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मनपा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त, नगर सचिव सहित अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन उन्हें भी प्रवेश देने से मना कर दिया गया। यहां तक कि पहचान पत्र दिखाने के बाद भी अधिकारियों को अंदर नहीं जाने दिया गया। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें प्रवेश मिल सका।